पंजाब सरकार ने बासमती चावल (Basmati Rice) के लिए खतरनाक माने जाने वाले 11 कीटनाशकों पर बैन (Pesticide Ban) लगा दिया है. इनमें एसेफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरपाइरीफोस, प्रोपिकोनाज़ोल, थियामेथोक्सम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड, कार्बेन्डाजिम, ट्राइसाइक्लाजोल, टेबूकोनाजोल और कार्बोफ्यूरॉन नामक कीटनाशक शामिल हैं. इस संबंध में सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इन पर 1 अगस्त, 2025 से प्रतिबंध होगा. जो अगले 60 दिन तक कायम रहेगा.
नोटिफिकेशन में पंजाब सरकार ने कहा है कि इन कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और उपयोग पर रोक इसलिए लगाई गई है ताकि बासमती की अच्छी गुणवत्ता हो सके और एक्सपोर्ट में किसी तरह की बाधा न आए. यह किसानों और निर्यातकों के लिए खुशी की बात है लेकिन, एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री के लिए बड़े झटके के समान है. बासमती उत्पादक कुछ और राज्य भी इस पर रोक लगा सकते हैं.
नोटिफिकेशन में पंजाब सरकार ने लिखा है, राज्य सरकार की राय है कि बताए गए (प्रतिबंधित) कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और उपयोग बासमती चावल उत्पादकों के हित में नहीं है. इन कृषि-रसायनों के उपयोग के कारण बासमती चावल के दानों में सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित अधिकतम अवशिष्ट स्तर (एमआरएल) से अधिक कीटनाशक अवशेषों का खतरा है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना ने पंजाब राज्य में बासमती चावल के कीटों को नियंत्रित करने के लिए वैकल्पिक कृषि रसायनों की सिफारिश की है.
पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने भी रिपोर्ट दी है कि उनके द्वारा जांचे गए कई नमूनों में इन कीटनाशकों का अवशेष मूल्य बासमती चावल के एमआरएल मूल्यों से बहुत अधिक है. एसोसिएशन ने पंजाब की विरासत बासमती उपज को बचाने और अन्य देशों को बासमती चावल के परेशानी मुक्त निर्यात को सुनिश्चित करने के लिए इन कृषि रसायनों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया और पंजाब राज्य में बासमती फसल पर बताए गए कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और उपयोग पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है, क्योंकि इससे बासमती चावल के निर्यात और खपत में संभावित बाधा उत्पन्न हो सकती है. पंजाब सरकार ने कहा है कि 1 अगस्त, 2025 से 60 दिनों के लिए इन कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और उपयोग पर पूरी तरह से बैन रहेगा.
इन कीटनाशकों पर बैन इसलि लगाया गया है क्योंकि इससे बासमती चावल में केमिकल की मात्रा बढ़ने की आशंका थी. इससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के अलावा निर्यात पर भी बुरा असर दिखने की आशंका है. कीटनाशकों पर बैन लगने से बासमती की क्वालिटी अच्छी रहेगी और निर्यात में तेजी आएगी. निर्यात में तेजी आने से किसानो की कमाई बढ़ेगी.
बासमती धान की खेती में कई तरह के रोग और कीट लगते हैं. जिनमें मुख्य तौर पर झोका रोग (Blast Disease) और जीवाणु झुलसा (Bacterial Leaf Blight) शामिल है. जिसके लिए किसान मजबूरी में कीटनाशक डालते हैं. जब चावल में उसका अवशेष मिलता है तब एक्सपोर्ट में वो फेल हो जाता है. इससे देश का नुकसान होता है और साख खराब होती है. इसे देखते हुए कीटनाशकों के इस्तेमाल, उपयोग और वितरण को बैन किया जाता है.
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