
केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही जैविक और प्राकृतिक खेती की मुहिम ने एग्री-इनपुट कंपनियों को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है. क्योंकि जैविक खेती का एरिया तेजी से बढ़ रहा है. इसका रकबा तीन साल में ही डबल हो गया है. इस समय देश भर में 59 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में जैविक खेती हो रही है. ऐसे में केमिकल कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों को कहीं न कहीं बिजनेस का विस्तार करने में कठिनाई आ रही है. इसी कड़ी में धानुका एग्रीटेक ने अब जैविक कीटनाशक के क्षेत्र में उतरने की घोषणा की है. इसने तीन जैविक प्रोडक्ट लॉन्च किए हैं. साथ ही कंपनी के चेयरमैन आरजी अग्रवाल ने यह भी साफ किया है कि वो जैविक के नाम पर बाजार में बेचे जा रहे नकली कीटनाशकों का विरोध करती है.
जिन तीन जैविक कीटनाशकों को कंपनी ने बाजार में उतारा है उनमें वाइटएक्स (Whiteaxe), डाउनिल (Downil) और स्पोरनिल (Sporenil) शामिल हैं. दावा है कि उसने जो जैविक प्रोडक्ट बनाए हैं वो पारंपरिक विज्ञान और नवीनतम कृषि तौर-तरीकों के मिलान से तैयार हुए हैं. धानुका समूह के प्रबंध निदेशक एमके धानुका ने कहा कि हम जैविक-कृषि सेगमेंट में तीन उत्पादों को लॉन्च कर रहे हैं. वैश्विक स्तर पर यह सेगमेंट काफी तेजी से बढ़ रहा है और भारत में भी इनकी अच्छी-खासी मांग है. आने वाले समय में हम और भी जैविक उत्पाद लॉन्च करेंगे.
इसे भी पढ़ें: Wheat Production: इस साल भारत में कितना पैदा होगा गेहूं, सरकार ने दी पूरी जानकारी
वाइटएक्स: दावा है कि यह सफेद कीड़े, दीमक, और छेदकों के लिए एक जैविक समाधान है. वाइटएक्स कीट-पतंगों पर बीजाणुओं से हमला करता है. वाइटएक्स एक कीटरोगजनक फंगस है. यह एक स्वदेशी तीव्र जहरीला स्ट्रेन है, जिसके प्रभाव को मापने के लिए उसे विभिन्न भौगौलिक स्थानों पर जांचा गया है.
डाउनिल: यह कोमल फफूंदी के लिए जैविक समाधान है. ‘डाउनिल’ बीजाणु अंकुरण और बीमारी फैलाने वाले पादप रोगजनकों (प्लांट पैथोजन्स) को रोकता है. यह एंटीबायोटिक उत्पन्न करता है, जो फंगल रोगजनकों की या तो वृद्धि रोक देती है या फिर उन्हें खत्म कर देती है. यह भी एक स्वदेशी तीव्र जहरीला स्ट्रेन है, जिसकी विभिन्न फसलों में कोमल फफूंदी पैदा करने वाले फंगल रोगजनकों के विरुद्ध प्रभाव की जांच की गई है.
स्पोरनिल: मुर्झाने, सड़ने और कम नमी जैसी विकृतियों के लिए यह एक जैविक समाधान है. स्पोरनिल 'ट्राईकोडर्मा हर्ज़ीयानम'नामक जैविक कंट्रोल एजेंट है, जिसे रोगाणुओं के विरुद्ध इस्तेमाल किया जाता है. यह एक तीव्र जहरीला स्ट्रेन है, जिसकी फंगल रोगाणुओं के विरुद्ध प्रभाव की जांच की गई है.
धानुका ने कहा कि भारत के किसानों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने पर ध्यान केंद्रित करने के कारण धानुका की ग्रोथ स्टोरी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है. कंपनी की गुजरात, राजस्थान और जम्मू एवं कश्मीर में चार मेन्युफेक्चरिंग प्लांट हैं. कंपनी की ओर से कहा गया है कि 2022-23 में उसका शुद्ध लाभ 233.51 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 11.8 फीसदी ज्यादा है.
इसे भी पढ़ें: क्यों सुस्त पड़ी गेहूं की सरकारी खरीद, क्या टारगेट पूरा नहीं कर पाएगी केंद्र सरकार?
Copyright©2023 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today