राज्य में गेहूं उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग ने गेहूं की दो अधिक उपज देने वाली किस्में 'DBW 222' और 'DBW 187’ पेश की हैं. हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के विषय विशेषज्ञ राजीव मिन्हास के अनुसार, गेहूं की अधिक उपज देने वाली दोनों किस्में 'DBW 222' और 'DBW 187’, मौजूदा गेहूं की किस्मों के 35-37 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की तुलना में 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती हैं. इन दो किस्मों के लगभग 23,000 क्विंटल बीज 50% सब्सिडी पर किसानों को वितरित किए गए हैं.
कृषि निदेशक बीआर ताखी के अनुसार, इन नई किस्मों को 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के दौरान
कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, सोलन, बिलासपुर और सिरमौर जिलों की निचली पहाड़ियों में बोया गया था, क्योंकि बारिश की वजह से मिट्टी में आवश्यक नमी हो गई थी. वहीं बारानी क्षेत्रों में भी गेहूं की इन नई क़िस्मों की बुवाई समय के अनुसार की गई है. गौरतलब है कि DBW222 (करण नरेंद्र) रतुआ रोग प्रतिरोधी किस्म है इसके विपरीत DBW 187 (करण वंदना) प्रोटीन और आयरन से भरपूर किस्म है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें हिमाचल प्रदेश में मुख्य खाद्यान्न फसलें गेहूं, धान, मक्का, जौ और तिलहन हैं. वहीं, 6.17 लाख मीट्रिक टन उत्पादन लक्ष्य के साथ 3.30 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जाती है और साल 2022-23 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 1649.97 हजार मीट्रिक टन होने की संभावना है. वहीं, चालू वित्त वर्ष 2022-23 में रबी सीजन के लिए 687.41 हजार टन और खरीफ सीजन के लिए 962.56 हजार टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
सेब उत्पादन के लिए जाना जाने वाला हिमाचल अब एक सब्जी के प्रमुख केंद्र के रूप में भी उभर रहा है. राज्य की मुख्य व्यावसायिक फसलें सब्जी, आलू एवं अदरक (हरा) है. जिसमें वर्ष 2022-23 में का उत्पादन लक्ष्य क्रमशः 1,759 हजार टन, 195 हजार टन एवं 34 हजार टन निर्धारित किया गया है. वहीं सब्जियों के लिए 82,000 हेक्टेयर क्षेत्र, आलू के लिए 15.10 हजार हेक्टेयर और अदरक (हरा) के लिए तीन हजार हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित है.
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