धान की कुछ नई हाईब्रिड किस्मों में कम पैदावार की शिकायतों और दावों से खलबली मच गई है. यह मुद्दा लोकसभा तक पहुंच गया. पंजाब में नई किस्मों की बुवाई करने वाले किसानों की ओर से कम चावल पैदावार के दावों की जांच आईआईटी खड़गपुर को सौंपी गई है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के नेतृत्व में बीजों को विकसित करता है. बता दें कि अगस्त महीने में पीएम मोदी ने 109 जलवायु अनुकूल और बॉयोफर्टिफाइड किस्मों को लॉन्च किया था.
केंद्र सरकार ने धान की नई हाइब्रिड किस्मों में कम पैदावार के दावों को गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश दिए हैं. लोकसभा में मंगलवार को यह जानकारी दी गई. बताया गया कि पंजाब में उगाई गई धान की कुछ नई हाईब्रिड किस्मों से तय मानक से कम चावल की पैदावार देखी गई है. इन दावों की सत्यता की जांच के लिए आईआईटी-खड़गपुर को जिम्मेदारी दी गई है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने मंगलवार को पंजाब में धान की खरीद से संबंधित सवाल के जवाब में एक लिखित बयान में कहा कि सरकार ने चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 के दौरान राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 169 लाख टन धान की खरीद की है. पंजाब में धान खरीद की अवधि 1 अक्टूबर से शुरू हुई और 30 नवंबर तक जारी रही थी.
राज्य सरकार की खरीद एजेंसियों और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) के जरिए एमएसपी पर 169 टन धान की खरीद की है, जबकि 27 नवंबर तक मंडियों में 171 टन धान की आवक दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि 1,823 नियमित अधिसूचित मंडियों के अलावा राज्य सरकार की ओर से एमएसपी पर धान खरीद के लिए 951 सार्वजनिक स्थान सह अस्थायी यार्ड और 475 चावल मिल सह अस्थायी यार्ड चालू किए गए हैं.
हरियाणा के किसानों से परमल धान उपज खरीद का टारगेट 60 लाख मीट्रिक टन तय था, खरीद एजेंसियां टारगेट से 6 लाख टन उपज ही खरीद सकी हैं. 15 नवंबर को हरियाणा में खरीद अवधि खत्म हो गई थी. सभी खरीद एजेंसियों ने राज्य की सभी अनाज मंडियों में 60 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले 53.96 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल की खरीद पिछले सीजन में हासिल की गई 59 लाख मीट्रिक टन से भी काफी पीछे है.
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