इस बार बीटी कॉटन की कीमत 11 रुपये प्रति पैकेट बढ़ी है. इसे किसानों के लिए कुछ हद तक राहत बताया जा रहा है, लेकिन नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी कि NSAI को इस पर ऐतराज है. एनएसएआई का कहना है कि बीज की कीमत अधिक नहीं बढ़े जिसका बुरा असर आगे देखने को मिल सकता है. एनएसएआई ने प्रति पैकेट 147 रुपये की बढ़ोतरी की मांग की थी, जबकि यह वृद्धि मात्र 11 रुपये की हुई है. इस संस्था ने चेताया है कि जब बीजों की बिक्री से कमाई नहीं बढ़ेगी तो इससे सप्लाई चेन से लेकर बीजों की क्वालिटी पर भी खराब असर देखा जा सकता है.
बीटी कॉटन के बीज की कीमत अभी 864 रुपये तक पहुंची है जो कि 450 ग्राम के एक पैकेट की है. NSAI ने एक बयान में कहा है कि उसे 147 रुपये की बढ़ोतरी की उम्मीद थी जबकि यह वृद्धि मात्र 11 रुपये की हुई है. इससे भविष्य में किसानों को क्वालिटी के बीज देने में परेशानी आएगी और सप्लाई चेन भी प्रभावित हो सकती है. एनएसएआई का तर्क है कि अगर बीज के दाम ही नहीं बढ़ेंगे तो बीज कंपनियों की कमाई कैसे होगी. जब कमाई नहीं होगी तो बीजों के रिसर्च का पैसा कहां से आएगा. नतीजा ये होगा कि किसान अपना पैसा खर्च करके भी क्वालिटी का बीज नहीं खरीद पाएंगे.
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इस संस्था ने कहा है कि अगर बीज का दाम 147 रुपये प्रति बैग बढ़ा भी दिया जाता तो किसानों पर इसका बोझ नहीं पड़ता. कपास की कमाई के लिहाज से बढ़ा हुआ रेट बहुत अधिक नहीं होता और किसान इस बढ़े रेट का आसानी से वहन कर सकते थे. लेकिन मात्र 11 रुपये की बढ़ोतरी से बीज कंपनियों का नुकसान अधिक होगा. इससे आगामी खरीफ सीजन में बीजों की क्वालिटी प्रभावित हो सकती है. लिहाजा उत्पादन की चिंता भी बरकरार रहेगी.
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इस बीच कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने बताया है कि मौजूदा सीजन में मध्य प्रदेश में 6.35 लाख क्विंटल कपास की खरीद हुई है. यह खरीद मध्य प्रदेश के किसानों से की गई है. फरवरी तक यह खरीद की गई है. मध्य प्रदेश में सीसीआई ने 21 खरीद केंद्र बनाए हैं. हाल के दिनों में सीसीआई ने कई राज्यों में कपास खरीद केंद्र बनाए क्योंकि दाम गिरने के बाद किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. किसानों ने सरकार से मांग की कि उनकी उपज को सही दाम मिले. इसे देखते हुए सरकार ने सीसीआई को खरीद केंद्र खोलने का निर्देश दिया. इसी क्रम में मध्य प्रदेश में 21 सेंटर खोले गए.
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