गुलाब के फूल का उपयोग खूबसूरती और सजावट के अलावा औषधीय प्रयोजनों के लिए भी किया जाता है. गुलाब के फूलों का उपयोग कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. जिस वजह से गुलाब की मांग हमेशा बनी रहती है. यही कारण है की गुलाब की खेती कर रहे किसानों को काफी फायदा होता है. इतना ही नहीं गुलाब की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. गुलाब का पौधा आकार में 4 से 5 फीट लंबा होता है, फूल वाले हिस्से को छोड़कर बाकी सभी जगह टहनी और तने दोनों पर कांटे होते हैं. गुलाब की खेती देश में लगभग हर जगह उगाई जा सकती है. कुछ लोग इसे लाभ के लिए उगाते हैं, जबकि कुछ लोग इसे अपने घरों, बगीचों, सरकारी या निजी भवनों और कार्यालय क्षेत्रों जैसी जगहों पर सुंदरता के लिए उगाते हैं.
व्यावसायिक दृष्टि से इसे खेतों और पॉलीहाउसों में उगाया जाता है, ताकि इससे अच्छी आमदनी हो सके. लेकिन कई बार गुलाब की पत्तियां हल्के हरे रंग की हो जाती हैं. अगर आपके बगीचे में भी ऐसा हो रहा है तो आप तुरंत ये उपाय कर सकते हैं. क्या हैं वो उपाय आइए जानते हैं.
अच्छी गुणवत्ता वाले फूलों के डंठल और अधिक उपज के लिए बड़ी मात्रा में पोषण की आवश्यकता होती है. उचित मात्रा में पोषण के लिए मिट्टी की समय-समय पर जांच करानी चाहिए. इसके पौधों की अच्छी वृद्धि और विकास के लिए नाइट्रोजन का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है. जब पौधों में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है तो इसकी पत्तियां हल्की हरी हो जाती हैं. गुलाब के पौधे नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप में लेते हैं. फास्फोरस पौधों की जड़ों की वृद्धि और विकास के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है. गुलाब के पौधों को फास्फोरस सुपर फास्फेट या कैल्शियम फास्फेट के माध्यम से देना चाहिए. पोटाश गुलाब के फूलों के डंठलों को सख्त करने, फूलों की गुणवत्ता बढ़ाने और फफूंद जनित रोग पाउडर फफूंदी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी है.
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गुलाब के पौधों के लिए मैग्नीशियम, मैंगनीज, बोरान, सल्फर जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व आवश्यक हैं. इसके पौधों की वृद्धि और अधिक मात्रा में गुणवत्तापूर्ण फूलों के उत्पादन के लिए पोषक तत्वों को प्रतिदिन ड्रिप सिंचाई के पानी के साथ देना चाहिए. पोषक तत्वों की पूरी मात्रा फूल उत्पादन के दौरान दी जानी चाहिए और पूर्ण पोषक तत्वों की आधी मात्रा तब दी जानी चाहिए जब पौधे में फूल नहीं आ रहे हों. गुलाब के पौधों को दिन में 2 से 3 बार सिंचाई के पानी के साथ खाद देनी चाहिए.
ऐसा देखा गया है कि बड़ी मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी का pH और EC मान बढ़ जाता है. इसे कम करने के लिए सिंचाई के पानी के साथ एसिड का प्रयोग करना चाहिए. आमतौर पर गुलाब के पौधों के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश प्रत्येक का 200 पीपीएम का घोल अधिक फायदेमंद पाया गया है. पौधों पर 15 दिन के अंतराल पर सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव भी करना चाहिए. मिट्टी का पीएच मान बढ़ने पर गुलाब की क्यारियों में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग किया जा सकता है. इससे मिट्टी का पीएच मान कम हो जाता है.
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