मैग्नीशियम एक पौधे के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है. इसका मतलब है कि पौधों को पनपने के लिए इस पोषक तत्व की बड़ी मात्रा की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसकी कमी से विकास रुक सकता है. यह क्लोरोफिल के एक प्रमुख घटक के रूप में पौधों में काम करता है. यानी पौधा मैग्नीशियम की अनुपस्थिति में क्लोरोफिल का उत्पादन नहीं कर सकता है. जिस वजह से पौधों का विकास रुक सकता है.
इसके अलावा, मैग्नीशियम पौधे के भीतर शुगर, स्टार्च, वसा और तेल को नियंत्रित करने और उत्पादन करने का काम करता है. ऐसे में मैग्नीशियम की कमी वाला पौधा स्टार्चयुक्त सब्जियां और शुगर के भरपूर फल का उत्पादन करता है. इसके अलावा, तेल की अतिरिक्त मात्रा के कारण बीज या फल अपना आकार और स्वाद खो सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं फसलों में कैसे करें मैग्नीशियम सल्फेट का छिड़काव.
इसे बुआई के समय छिड़काव के रूप में (25 किलोग्राम प्रति एकड़) या पत्तों पर (5-10 ग्राम प्रति लीटर पानी) छिड़काव किया जा सकता है.
इसका उपयोग करने का सबसे अच्छा समय बुआई के समय होता है. या फिर आप इसका प्रयोग खड़ी फसल में भी कर सकते हैं.
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आप चाहें तो इसे नम और भारी मिट्टी वाले पौधों के लिए उपयोग करें या हल्की मिट्टी वाले पौधों के लिए, खुराक सही होनी चाहिए. नहीं तो यह फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है.
मैग्नीशियम सल्फेट का उपयोग पत्तेदार स्प्रे विधि का उपयोग करके भी किया जा सकता है. पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम सल्फेट को पानी में मिला सकते हैं और फिर पोषक तत्वों के अधिक एब्जॉर्ब के लिए इसे स्प्रे के रूप में उपयोग कर सकते हैं.
प्रत्येक 10-15 दिन में दो या तीन बार छिड़काव करना चाहिए. सुनिश्चित करें कि आप इसे या तो सुबह जल्दी करें या देर शाम को करें.
मैग्नीशियम सल्फेट पौधों के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है. यह फॉस्फेट मेटाबॉलिज्म, पौधों की एंजाइम प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मैग्नीशियम सल्फेट का सबसे आम उपयोग सभी प्रकार की फसलों और मिट्टी की स्थितियों में मैग्नीशियम की कमी को ठीक करने या रोकने के लिए है. सही मात्रा में इस उर्वरक का उपयोग करके, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके पौधे स्वस्थ हैं और हरी पत्तियाँ हैं. इससे पैदावार भी अधिक होती है और फसल की गुणवत्ता भी बढ़ती है.
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