अरहर में वायरस से फैल सकती है महामारी, आसपास की कई फसलें आ सकती हैं चपेट में, तुरंत करें ये उपाय

अरहर में वायरस से फैल सकती है महामारी, आसपास की कई फसलें आ सकती हैं चपेट में, तुरंत करें ये उपाय

मोजेक रोग एक वायरल बीमारी है जो अरहर बांझपन मोजेक वायरस (PPSMV) के कारण होती है. यह बीमारी एक एरियोफाइड माइट, एसेरिया कैजानी द्वारा फैलती है, जो बहुत छोटा, गुलाबी रंग के आकार का होता है. यह पौधे की कोमल शाखाओं पर दूधिया सफेद अंडे देता है.

Advertisement
अरहर में वायरस से फैल सकती है महामारी, आसपास की कई फसलें आ सकती हैं चपेट में, तुरंत करें ये उपायअरहर में इस रोग का खतरा

क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से चने के बाद अरहर दूसरी सबसे अधिक उगाई जाने वाली दलहनी फसल है. इसके प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और बिहार हैं. अरहर की फसल कई प्रकार के रोगों से प्रभावित होती है. इन्हीं रोगों में से एक है "बांझपन मोजेक रोग". इस रोग के कारण अरहर के उत्पादन में कमी फसल की उस अवस्था पर निर्भर करती है जिसमें पौधों में रोग का संक्रमण हुआ है. यदि संक्रमण बुवाई के 45 दिन पहले पौधों में होता है तो उत्पादन में कमी 95-100% तक होती है. जबकि बुवाई के 45 दिन बाद उत्पादन में कमी प्रभावित शाखाओं में संक्रमण के आधार पर 26-97% तक होती है. यदि संक्रमण देर से होता है तो पौधों के कुछ भागों में रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, जिसे हम आंशिक बांझपन कहते हैं. अरहर में इस वायरस की वजह से महामारी भी फैल सकती है. जिस वजह से उत्पादन पर गहरा असर पड़ता है. ऐसे में आइए जानते हैं फसलों को बचाने के लिए क्या करें उपाय.

क्या है मोजेक रोग

मोजेक रोग एक वायरल बीमारी है जो अरहर बांझपन मोजेक वायरस (PPSMV) के कारण होती है. यह बीमारी एक एरियोफाइड माइट, एसेरिया कैजानी द्वारा फैलती है, जो बहुत छोटा, गुलाबी रंग के आकार का होता है. यह पौधे की कोमल शाखाओं पर दूधिया सफेद अंडे देता है. अंडे से निकले बच्चे पत्तियों में लिपटे हुए पाए जाते हैं. एरियोफाइड माइट अधिक खतरनाक और यह मुख्य रूप से अरहर, मटर और इसके जंगली रिश्तेदारों जैसे कि कैजेनस स्काराबायोइड्स और सी. कैजानिफोलियस पर पाया जाता है. वयस्क कीट की लंबाई 200-250 µm होती है. इसका जीवन चक्र बहुत छोटा होता है और इसमें दो सप्ताह का अंडा और दो भ्रूण अवस्थाएं होती हैं. अरहर बांझपन मोजेक वायरस से संक्रमित पौधों पर, माइट हमेशा पत्तियों की निचली सतह पर और मुख्य रूप से प्रभावित पत्तियों पर पाए जाते हैं.

ये भी पढ़ें: Agri Quiz: किस फसल की किस्म है उज्ज्वला, इसकी 5 उन्नत वैरायटी की पढ़ें डिटेल्स

इस रोग के लक्षण

बांझपन मोजेक रोग का सबसे आम लक्षण पौधे में छोटी पत्तियां, हल्के पीले और गहरे हरे रंग के मोजेक रंग के साथ हरे-पीले रंग के धब्बे होना है. पौधा कई शाखाओं में बंटा होता है. ऐसे में इस बीमारी के बाद पौधों की वृद्धि रुक ​​जाती है और फूल नहीं खिलते. अगर कुछ फूल बनते भी हैं तो उनमें फल और बीज नहीं बनते. जिस वजह से इसकी खेती कर रहे किसनों को काफी नुकसान होता है. यह बीमारी तेजी से फैलता है. 

ये भी पढ़ें: Soybean Farming: बिगड़ते मौसम में सोयाबीन की खेती के लिए अपनाएं ये तरीके, मिलेगी बेहतर उपज

कैसे करें रोकथाम

  • इस बीमारी को फैलने से बचाने के लिए अरहर के बारहमासी किस्मों की बुवाई न करे और रैटून फसल न लें. इससे इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है.
  • इनकी रोकथाम के लिए 500-600 मिली डायमेथोएट को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें और जरूरत पड़ने पर 15 दिन बाद फिर से छिड़काव करें.
  • किसान चाहें तो 100 ग्राम थायामेथोक्सम दवा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर भी फसल पर छिड़काव कर सकते हैं.
  • मोजेक के लक्षण दिखने पर हर 15 दिन के अंतराल पर इन दवाओं का छिड़काव (पेस्टीसाइड स्प्रे) करते रहें.
  • फसल में रोगों के खतरे को रोकने के लिए उन्नत और रोग प्रतिरोधी किस्मों के बीजों से बुआई करनी चाहिए.
  • इस रोग की संभावना को कम करने के लिए फसल में नीम की खली (नीम न्यूट्रिशन इन क्रॉप) डालकर जुताई करनी चाहिए.
  • रासायनिक कीटनाशकों की जगह नीम से बने प्राकृतिक कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए.
  • फसल में जीवामृत डालकर भी कीटों और बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है.
  • मोजेक रोग की समस्या और इसकी रोकथाम से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें.
POST A COMMENT