जीरे की आधुन‍िक खेती कर क‍िसान कमा सकते हैं अध‍िक मुनाफा, जानें उन्नत किस्में और तरीकेे की जानकारी

जीरे की आधुन‍िक खेती कर क‍िसान कमा सकते हैं अध‍िक मुनाफा, जानें उन्नत किस्में और तरीकेे की जानकारी

जीरे की फसल बलुई दोमट और दोमट भूमि अच्छी होती है. बुवाई के समय तापमान 24 से 28 डिग्री सेल्सियस होनी चाहिए. और वानस्पतिक वृद्धि के समय 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान होनी चाहिए. जीरे की बुवाई 1 से 25 नवंबर के मध्य कर देनी चाहिए.

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जीरे की आधुन‍िक खेती कर क‍िसान कमा सकते हैं अध‍िक मुनाफा, जानें उन्नत किस्में और तरीकेे की जानकारीHow to cultivate cumin

मसाला फसलों में जीरे का अपना एक अलग ही स्थान है. दाल या और कोई भी डिश बनानी हो, सभी में जीरे का प्रयोग किया जाता है. बिना इसके सारे मसालों का स्वाद फीका हो जाता है. जीरे को भूनकर छाछ और दही में डालकर खाया और पिया जाता है. जीरा न केवल आपके स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसका सेवन करना काफी फायदेमंद है. इसका पौधा दिखने में सौंफ की तरह होता है.

संस्कृत में इसे जीरा कहा जाता है. जिसका अर्थ है अन्न के पचने में सहायता करने वाला. यदि इसकी खेती अच्छे तरीके से की जाए तो इसका बेहतर उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. ऐसे में आइए इसके खेती और उन्नत किस्मों के बारे में जानते हैं.


जीरे का उत्पादन भारत में कहां-कहां होता है?


देश का 80 प्रतिशत से ज्यादा जीरा गुजरात और राजस्थान में उगाया जाता है. राजस्थान में देश के पूरे उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जाता है. राजस्थान की औसत उपज 380 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है. वहीं पड़ोसी राज्य गुजरात का 550-380 किग्रा. प्रति हेक्टेयर है.

 

जीरे की उन्नत किस्में

 

जीरे की उन्नत क‍िस्मों की बात करें तो आर जेड-19, आर जेड-209, जी सी-4, आर जेड-223 को प्रमुख क‍िस्म माना जाता है. क‍िसान, इन क‍िस्मों से उत्पादन कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.  
 

भूमि और उसकी तैयारी
 

जीरे की फसल बलुई दोमट और दोमट भूमि अच्छी होती है. खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. जीरे की फसल के लिए एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद एक क्रॉस जुताई हैरो से करके पाटा लगा देना चाहिए और इसके बाद एक जुताई कल्टीवेटर से करके पाटा लगाकर मिट्टी भुरभुरी बना देनी चाहिए.

 

बीज की बुवाई और जलवायु


जीरे की बुवाई के समय तापमान 24 से 28 डिग्री सेल्सियस होनी चाहिए. और वानस्पतिक वृद्धि के समय 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान होनी चाहिए. जीरे की बुवाई 1 से 25 नवंबर के मध्य कर देनी चाहिए. जीरे की किसान अधिकतर छिड़काव विधि द्वारा करते हैं. एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 12 कि.ग्रा बीज पर्याप्त रहता है. ध्यान रहे जीरे का बीज 1.5 से.मी. से ज्यादा गहराई पर नहीं बोनी चाहिए.

 

जीरे की कटाई
 

सामान्य रूप से जब बीज और पौधा भूरे रंग का हो जाए और फसल पूरी पक जाए तो तुरंत कटाई करनी चाहिए. पौधे को अच्छी प्रकार से सुखाकर थ्रेसर से दाना अलग कर लेना चाहिए. दाने को अच्छी प्रकार से सुखाकर साफ बोरे में रख दें.

 

उपज और लाभ
 

आधुनिक तरीके से खेती करने पर जीरे की औसत उपज 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाती है. जीरे की खेती में लगभग 30 से 35 हजार रुपए तक का खर्च आता है. जीरे के दाने का 100 रुपए प्रति किलो भाव रहने पर 40 से 45 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का मुनाफा हो सकता है.

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