सरसों की बुवाई शुरू हो गई है और दिवाली के बाद गेहूं की भी होगी. लेकिन अभी से खाद की किल्लत देखी जा रही है. यह खबर हरियाणा की है जहां डाई-अमोनियम फास्फेट (DAP) की कमी के कारण किसानों में दहशत फैल गई है. इस प्रमुख खाद के वितरण के दौरान भीड़ को संभालने के लिए पुलिस को आगे आना पड़ा है. यहां तक कि सोनीपत जिले के गोहाना और महेंद्रगढ़ के नारनौल में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में डीएपी खाद बेची गई.
दरअसल, 26 अक्टूबर को जींद के उचाना में, एक किसान को DAP खरीदने के दौरान चोट लग गई. इसके बाद पुलिस ने खाद खरीदने के लिए स्थानीय सहकारी समिति कार्यालय में बेकाबू भीड़ को नियंत्रित किया. भिवानी जिले के तोशाम थाने में एक सहकारी समिति के कर्मचारियों ने इस प्रक्रिया को अपने हाथ में लिया और किसानों को पर्चियां थमा दी. वहीं, रविवार को सैकड़ों किसान, जिनमें से कई महिलाएं थीं, तोशाम थाने के बाहर लंबी कतारों में खड़े होकर पर्चियों का इंतजार कर रही थीं.
इस मामले को लेकर भिवानी के किसान कार्यकर्ता दयानंद पूनिया ने “इंडियन एक्सप्रेस” को बताया कि रविवार सुबह करीब 12 गांवों के किसानों को सूचना मिली कि पटौदी गांव की प्राथमिक कृषि सहकारी समिति में 1,500 डीएपी की बोरी आ गई है. वहीं, कृषि विभाग के उपमंडल अधिकारी (भिवानी) संजय कुमार ने कहा, “पटौदी में डीएपी से ज्यादा किसान थे. पहले हमने वहां पुलिस को बुलाया, लेकिन वे भीड़ को नियंत्रित नहीं कर सके. हमें लगा कि हाथापाई हो सकती है, इसलिए हमने पुलिस स्टेशन से ही पर्ची जारी करने का फैसला किया.”
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किसानों को आमतौर पर सरसों और गेहूं की बुवाई के लिए प्रत्येक एकड़ में 50 किलो डीएपी की एक बोरी की जरूरत होती है. आलू के मामले में यह तीन बोरी तक हो जाती है. सरसों और आलू की बुवाई आमतौर पर अक्टूबर में होती है. उसके बाद नवंबर में गेहूं की बुवाई होती है. ऐसे में डीएपी की कमी को लेकर किसान परेशान हैं. वहीं, मौजूदा कमी के लिए वैश्विक कीमतों में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
डीएपी की कमी को स्वीकार करते हुए हरियाणा कृषि और किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक राजबीर सिंह ने कहा, "उदाहरण के लिए, हिसार जिले को अब तक 25,000 मीट्रिक टन की मांग के मुकाबले केवल 8,000 मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति मिली है. हमें आने वाले दिनों में और अधिक डीएपी की आपूर्ति की उम्मीद है."
हरियाणा के सरसों उत्पादक जिलों के किसान डीएपी के लिए बेताब हैं. लेकिन दिवाली से गेहूं की बुवाई का मौसम शुरू होने के बाद यह कमी और भी बढ़ सकती है. दादरी, नारनौल, भिवानी, रेवाड़ी और हिसार में सरसों की बुवाई चल रही है और यहां के किसानों को पर्याप्त डीएपी नहीं मिल पा रही है. अगर डीएपी की आपूर्ति नहीं बढ़ाई गई तो संकट और भी बढ़ जाएगा, क्योंकि 15 नवंबर के बाद गेहूं उत्पादक क्षेत्रों के किसान भी खाद के लिए कतार में लग जाएंगे.
वहीं इस मामले पर हरियाणा सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 27 अक्टूबर, 2024 तक राज्य में पुराना स्टॉक को मिलाकर 4,22,958 मीट्रिक टन यूरिया, 27,357 मीट्रिक टन डीएपी, 72,487 मीट्रिक टन एसएसपी और 31,206 मीट्रिक टन एनपीके उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा अक्टूबर महीने के दौरान हरियाणा के लिए 5,23,554 मीट्रिक टन यूरिया का आवंटन किया गया है, जिसमें से अब तक 1,41,173 मीट्रिक टन यूरिया प्राप्त हो चुका है और आगामी तीन दिनों में 7800 मीट्रिक टन यूरिया की प्राप्ति संभावित है.
इसी प्रकार, अक्टूबर महीने के दौरान भारत सरकार द्वारा 1,15,150 मीट्रिक टन डीएपी का आवंटन किया गया है, जिसमें से अब तक 68,929 मीट्रिक टन की प्राप्ति हो चुकी है. प्रवक्ता ने बताया कि 27 अक्टूबर तक किसानों द्वारा 1,16,364 मीट्रिक टन यूरिया, 95,541 मीट्रिक टन डीएपी, 14,892 मीट्रिक टन एसएसपी और 25,938 मीट्रिक टन एनपीके की खपत की जा चुकी है.
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