भारतीय किसान संघ ने सोमवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली करके खेती-किसानी से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश की. संघ ने कृषि क्षेत्र में लगने वाले इनपुट यानी खाद, बीज, कीटनाशक और मशीनरी आदि से जीएसटी हटाने की मांग भी की. यह मांग दूसरे किसान संगठन भी समय-समय पर करते रहते हैं. क्योंकि, कई जरूरी कृषि इनपुट पर 18 फीसदी तक जीएसटी लग रहा है. दूसरी ओर, सोमवार को ही लोकसभा में इसी मुद्दे को लेकर पूछे गए एक सवाल पर सरकार ने ऐसा जवाब दिया, जिससे किसानों की यह मांग पूरी होती नहीं दिख रही.
राजस्थान की नागौर लोक सभा सीट से सांसद हनुमान बेनीवाल ने किसानों से जुड़े इस अहम मसले पर लिखित सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि क्या सरकार का किसानों के हित में कृषि उपकरणों को शून्य प्रतिशत जीएसटी श्रेणी में शामिल करने का विचार है? जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि जीएसटी की दरों और रियायतों को जीएसटी परिषद की अनुशंसा के आधार पर निर्धारित किया जाता है. परिषद एक संवैधानिक निकाय है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के सदस्य शामिल होते हैं. इस संबंध में जीएसटी की दरों में परिवर्तन किए जाने के लिए जीएसटी परिषद ने अभी कोई भी सिफारिश नहीं की है.
फर्टिलाइजर पर जीएसटी 5 फीसदी है, जबकि एग्रो केमिकल पर 18 परसेंट. यह बात सिर्फ किसानों को परेशान नहीं करती है बल्कि एग्रो केमिकल इंडस्ट्री भी इससे काफी दुखी है. इंडस्ट्री का कहना है कि कीटनाशकों पर 18 फीसदी जीएसटी लगने की वजह से ज्यादातर किसान बिल पर खरीद नहीं करते. ऐसे में सरकार को टैक्स का नुकसान होता है और किसानों को नकली पेस्टिसाइड मिलने का खतरा बढ़ जाता है. इंडस्ट्री को नुकसान यह होता है ब्रांडेड कीटनाशकों की बजाय सब स्टैंडर्ड की बिक्री ज्यादा होने लगती है.
खेती-किसानी में काम आने वाले कुछ औजारों पर जीएसटी नहीं लगता. इसमें हाथ से चलाए जाने वाले या जानवरों की सहायता से चलने वाले कृषि उपकरण खासतौर पर शामिल हैं. कुदाल, फावड़े, गैंडे, पिक्स, कुदाली, कांटे और रेक, कुल्हाड़ी, बिल हुक और इसी तरह के काटने के उपकरणों पर जीरो परसेंट जीएसटी है. इसी प्रकार बागवानी में उपयोग किए जाने वाले दरांती, घास के चाकू, हेज कैंची, लकड़ी की कीलों और अन्य औजार जीएसटी मुक्त हैं.
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