बीते एक सप्ताह के दौरान महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना समेत कई राज्यों में बारिश और बाढ़ की स्थितियों से कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है. महाराष्ट्र के मराठवाड़ा रीजन में 12 लाख हेक्टेयर से अधिक फसल बर्बाद हो गई है. जबकि, आंध्र प्रदेश में 2 लाख हेक्टेयर और तेलंगाना में भी बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान पहुंचा है. जिन फसलों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा है उनमें सोयाबीन, कपास, धान, केला और हल्दी की फसलें शामिल हैं. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के किसानों, ग्रामीणों के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र ने 3,448 करोड़ रुपये की राहत देने की घोषणा की है.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान बीते 6 सितंबर को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने गए थे. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करने के बाद तेलंगाना में उन्होंने कहा कि किसी को निराश होने की जरूरत नहीं है. हम तत्काल सहायता पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के लिए 3,448 करोड़ रुपये की तत्काल सहायता की घोषणा की है.
कृषि मंत्री ने कहा कि तत्काल सहायता करने के बाद सरकार अगली फसल के लिए किसानों को खाद और बीज उपलब्ध कराने के बारे में सोचेगी. मंत्री ने किसान समुदाय को यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार फसल के नुकसान का आकलन करने के बाद उचित मुआवजा देगी. कृषि मंत्री ने कहा कि हम बैंकों से कहेंगे कि वे संकट के समय किसानों से कर्ज न वसूलें. तेलंगाना के मीनावलु, पेद्दागोपावरम, मन्नूर और कट्टलेरू के बाढ़ प्रभावित इलाकों में फसल नुकसान का हवाई सर्वेक्षण किया.
आंध्र प्रदेश में बारिश और बाढ़ की वजह से 1.7 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं. जबकि, 18 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी फसलों को नुकसान पहुंचा है. राज्य भर में करीब 2.35 लाख किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचा है. वहीं, तेलंगाना में बारिश और बाढ़ के चलते कई लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है. शुरुआती नुकसान आकलन में कहा गया है कि तेलंगाना में बारिश के चलते 5,438 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
महाराष्ट्र के राजस्व अधिकारियों के प्राथमिक आकलन में कहा गया है कि सितंबर पहले सप्ताह में भारी बारिश से मराठवाड़ा क्षेत्र के 7 जिलों में लगभग 11.67 लाख हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है. यहां धान, सोयाबीन, दलहन की खेती को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा है. ज्यादातर खेत पानी से भरे हुए हैं.
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