देश में जैविक खेती का चलन तेजी के साथ बढ़ रहा है. बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सहित लगभग सभी राज्यों में किसान बड़े स्तर पर जैविक विधि से रबी, खरीफ और बागवानी फसलों की खेती कर रहे हैं. इसके लिए वे रासायनिक की जगह जैविक खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके चलते मार्केट में गोबर और वर्मी कंपोस्ट की मांग बढ़ गई है. किसानों को लगता है कि ये दोनों ही ऐसी जैविक खाद हैं, जिनका इस्तेमाल करने से फसलों की पैदावार बढ़ जाती है. लेकिन आज हम एक ऐसी प्राकृतिक खाद के बारे में बात करेंगे, जिसको खेत में डालने पर न सिर्फ उपज बढ़ेगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ जाएगी.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं मछली खाद के बारे में. हो सकता है मछली खाद का नाम सुनकर बहुत से लोग चौंक भी जाएंगे, भला मछली की भी कही खाद होती है. लेकिन यह हकीकत है. एक्सपर्ट का कहना है कि मछली खाद पौधों के लिए अमृत से कम नहीं है. मछली खाद के इस्तेमाल से मिट्टी उपजाऊ हो जाती है. ऐसे में किसान अगर अपने खेत या गार्डन में मछली खाद डालते हैं, तो मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाएगी. इससे पैदावार में बढ़ोतरी होगी.
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मछली खाद को फिश फर्टिलाइजर के रूप में जाना जाता है. यह बंजर मिट्टी को भी उपजाऊ बना देता है. कहा जाता है कि इस खाद के इस्तेमाल से पौधों की तेजी से वृद्धि होती है. सबसे बड़ी बात यह है कि मछली खाद का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है. यानी अगर खाद की मात्रा ज्यादा भी हो जाए, तो पौधों पर इसका नकारात्मक असर नहीं पड़ता है. क्योंकि मछली खाद में अधिक मात्रा में फास्फोरस पाया जाता है, जो पौधों की जड़ों को मजबूती देता है. इससे पौधे तेजे से बढ़ते हैं.
मछली खाद बनाने के लिए सबसे पहले मछलियों की हड्डियों और खाल मिट्टी में मिलाया जाता है, ताकि वे सड़ कर खाद में बदल जाएं. अगर आप भी मछली खाद बनाना चाहते हैं, तो मरी हुई मछलियां खरीद कर मिट्टी में दबा दें. कुछ दिनों के बाद मछली सड़कर मिट्टी में बदल जाएगी. इसके बाद मछली की खाद तैयार हो गई. यह खाद ही फिश फर्टिलाइजर या मछली खाद होती है. यह काफी उपजाऊ होगी, जिससे पौधे जल्दी विकास करते हैं.
कृषि विशेषज्ञ की माने तो मछली खाद के कई फायदें हैं. मछली की खाद में फास्फोरस के अलावा पोटेशियम, कैल्शियम और नाइट्रोजन भी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. यही वजह है कि इसे खेत में डालने पर मिट्टी उपजाऊ बन जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस खाद का उपयोग करने से मिट्टी में पानी भी जमा नहीं होता है. इससे भी पौधों के विकास में मदद मिलती है.
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