अप्रैल से लेकर जुलाई तक 4 महीनों में खाद सब्सिडी खर्च रकम 45 हजार करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गई है. इसकी वजह खपत में 6 फीसदी उछाल को माना जा रहा है. अप्रैल से जुलाई तक जायद और खरीफ फसलों की जमकर किसानों ने बुवाई की है. खरीफ सीजन की सभी फसलों का बुवाई रकबा 1095.84 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है, जो बीते सीजन की समान अवधि की तुलना में 30 लाख हेक्टेयर अधिक है. बंपर फसल बुवाई के चलते खाद का इस्तेमाल भी बढ़ा है और इसके नतीजे में सब्सिडी रकम भी बढ़ गई है.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि के दौरान खाद सब्सिडी 45,242.01 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो इस वित्त वर्ष के बजट में तय खाद सब्सिडी रकम 1,64,000 करोड़ रुपये का 28 फीसदी है. इसके विपरीत प्रमुख रासायनिक खादों के कुल आयात में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर खादों की वैश्विक कीमतें और बढ़ती हैं तो सब्सिडी रकम बजट में तय रकम से भी अधिक पहुंच सकती है.
रिपोर्ट में ताजा आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर बताया गया कि वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों में यूरिया पर सब्सिडी 32,461.52 करोड़ रुपये और फॉस्फेट (पी) और पोटाश (के) पर 12,759.32 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. आंकड़ों के अनुसार फॉस्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) सब्सिडी के लिए कुल बजट आवंटन 45,000 करोड़ रुपये में से जुलाई तक 28.4 फीसदी खर्च हो चुका है. सरकार जल्द ही आगामी रबी सीजन (अक्टूबर-मार्च) के लिए पी और के खाद के लिए सब्सिडी की घोषणा करेगी.
प्रमुख खादों में यूरिया, डीएपी, एमओपी और कॉम्प्लेक्स की कुल खपत 5.7 फीसदी बढ़कर 184.25 लाख टन हो गई. यूरिया की बिक्री 1.6 फीसदी बढ़कर 108.87 लाख टन हो गई. जबकि, एमओपी की बिक्री 36.8 फीसदी बढ़कर 4.94 लाख टन और कॉम्प्लेक्स की बिक्री 40.8 फीसदी बढ़कर 40.8 लाख टन हो गई. हालांकि, डीएपी की बिक्री 14.5 फीसदी घटकर 29.64 लाख टन रह गई.
उर्वरक मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जुलाई के दौरान डीएपी का आयात 44.9 फीसदी घटकर 14.66 लाख टन रह गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 26.59 लाख टन था. यूरिया का आयात 31.7 फीसदी घटकर 14.87 लाख टन से 10.15 लाख टन रह गया है. वहीं, अप्रैल-जुलाई के दौरान कुल खादों का आयात 29.6 फीसदी घटकर 42.49 लाख टन रह गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 60.33 लाख टन था. इसमें म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) का आयात 24.2 फीसदी घटकर 9.66 लाख टन से 7.32 लाख टन रह गया. लेकिन, कॉम्प्लेक्स खादों यानी एनपीके का आयात 12.5 फीसदी बढ़कर 9.21 लाख टन से 10.36 लाख टन हो गया है.
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