खाद की कालाबाजारी को लेकर एक्शन में केंद्र सरकार (सांकेतिक तस्वीर)केंद्र सरकार के अधीन खाद विभाग (Department of Fertilizers) ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण विभाग (DA&FW) के साथ मिलकर खरीफ और चल रहे रबी सीजन 2025-26 (अप्रैल से नवंबर) के दौरान देशभर में खाद की उपलब्धता बनाए रखने और किसानों के हितों की रक्षा के लिए बड़ा अभियान चलाया. इस अभियान का उद्देश्य कालाबाजारी, जमाखोरी और खाद की अवैध बिक्री को रोकना है. केंद्र सरकार के निर्देश पर देशभर में राज्य सरकारों ने मिलकर सख्त कार्रवाई की. देशभर में अब तक 3,17,000 से ज्यादा छापेमारी और निरीक्षण किए गए.
सचिव (कृषि) और सचिव (खाद) ने कई राज्यों के अधिकारियों के साथ बैठकें कीं. इसके बाद राज्यों ने जिलास्तर पर छापेमारी, निरीक्षण और कानूनी कार्रवाई की ताकि कोई भी व्यक्ति खाद की सप्लाई में गड़बड़ी न कर सके. इन कार्रवाइयों से बाजार में अनुशासन कायम हुआ और किसानों को समय पर खाद मिलने की गारंटी बनी रही.
इन कार्रवाइयों के दौरान कालाबाजारी के मामलों में 5,119 नोटिस जारी किए गए, जिनमें से 3,645 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए और 418 एफआईआर दर्ज की गईं. जमाखोरी के खिलाफ 667 नोटिस जारी हुए, 202 लाइसेंस रद्द या निलंबित हुए और 37 एफआईआर दर्ज की गईं.
खाद की अवैध दिशा में बिक्री रोकने के लिए 2,991 नोटिस जारी किए गए, 451 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए और 92 एफआईआर हुईं. ये सारी कार्रवाई आवश्यक वस्तु अधिनियम और उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत की गई. उत्तर प्रदेश ने सबसे आगे रहते हुए 28,000 से ज्यादा निरीक्षण किए. राज्य ने 1,957 नोटिस जारी किए और 2,730 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए. 157 एफआईआर भी दर्ज की गईं.
बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और गुजरात जैसे राज्यों ने भी बड़ी संख्या में कार्रवाई की. महाराष्ट्र में 42,000 से ज्यादा निरीक्षण हुए और 1,000 से अधिक लाइसेंस रद्द किए गए. राजस्थान में 11,000 से ज्यादा निरीक्षण हुए जबकि बिहार में करीब 14,000 निरीक्षण और 500 से ज्यादा लाइसेंस निलंबित किए गए. इन कदमों से बाजार में खाद की कृत्रिम कमी और कीमतों में हेराफेरी को रोका गया.
सरकार की ओर से जारी बयान में बताया गया कि खाद गुणवत्ता पर भी सख्त निगरानी रखी गई. संदिग्ध खाद की जांच में 3,544 नोटिस जारी किए गए, 1,316 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए और 60 एफआईआर दर्ज की गईं. खाद के नमूने अलग-अलग स्तरों पर जांचे गए, ताकि खराब या मानक से नीचे की गुणवत्ता वाली खाद बाजार में न पहुंच सके. इससे किसानों को सही और गुणवत्तापूर्ण खाद मिलती रही.
राज्य सरकारों ने डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम और डैशबोर्ड के माध्यम से स्टॉक की रियल-टाइम निगरानी की. जब्त या जमा की गई खाद को जल्दी से जल्दी सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया गया. किसानों की शिकायतों पर भी तुरंत कार्रवाई की गई.
खाद विभाग ने सभी राज्यों और जिलों के अधिकारियों, कृषि विभाग और पुलिस प्रशासन की सतर्कता और मेहनत की सराहना की है. विभाग ने किसानों और व्यापारियों से अपील की है कि वे किसी भी अनियमितता या कालाबाज़ारी की सूचना तुरंत दें ताकि खाद की पारदर्शी और निष्पक्ष आपूर्ति बनी रहे.
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