सरकार देश के कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर DBT के जरिये खाद सब्सिडी देने का काम शुरू कर सकती है. यहां डीबीटी का मतलब है कि जिस तरह पीएम किसान सम्मान निधि (PM Kisan Samman Nidhi) का पैसा किसानों के खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर किया जाता है. ठीक उसी तरह किसानों को खाद सब्सिडी का पैसा खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर किया जाएगा. इससे सब्सिडी के पैसे का सही-सही इस्तेमाल हो सकेगा और भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी. इस पायलट प्रोजेक्ट को लेकर खाद इंडस्ट्री बहुत खुश है क्योंकि उसे लगता है कि नए साल में खाद और उर्वरक के क्षेत्र में बड़े सुधार हो सकते हैं.
मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक खाद सब्सिडी के लिए सरकार एक मॉड्यूल पर काम कर रही है. हालांकि इसका काम कहां तक पहुंचा है, पायलट प्रोजेक्ट अभी किस दशा में है और कब तक पूरी प्लानिंग सार्वजनिक हो पाएगी, अभी कुछ पता नहीं है. सरकार की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. अभी इस पूरी प्लानिंग पर सरकार को खाद इंडस्ट्री के साथ चर्चा करनी है जिसके बारे में अधिकारी पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं.
खाद सब्सिडी की जहां तक बात है तो इसकी राशि 1,23,833.64 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जिसमें यूरिया की हिस्सेदारी 86,560 करोड़ और फॉस्फेटिक-पोटाश खाद की हिस्सेदारी 37,273.35 करोड़ रुपये है. यह राशि मौजदा वित्त वर्ष के अप्रैल-नवंबर अवधि के लिए है. अरबों रुपये के इस फंड का सही इस्तेमाल हो सके, इसके लिए सरकार डीबीटी जैसी भरोसेमंद स्कीम पर विचार कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि इसे लेकर तैयारी भी शुरू हो चुकी है.
खबरों में बताया गया है कि कृषि मंत्रालय ने अपनी डीबीटी की कई स्कीमों जैसे पीएम किसान, पीएम फसल बीमा योजना, सॉइल हेल्थ कार्ड और अभी हाल में शुरू हुई यूनीक आईडी स्कीम की डिटेल्स को खाद मंत्रालय के साथ शेयर किया है. इन स्कीम में किसानों की जमीन का विवरण, बोई जाने वाली फसल आदि की डिटेल्स होती है जिसके आधार पर किसानों को डीबीटी के जरिये खाद की सब्सिडी दी जा सकती है. इन सभी स्कीम की जानकारी को खाद मंत्रालय के साथ साझा किया गया है ताकि पायलट प्रोजेक्ट में मदद ली जा सके. खाद मंत्रालय इसी आधार पर सब्सिडी के मॉड्यूल को तैयार कर सकता है.
कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि सब्सिडी का मॉड्यूल खाद मंत्रालय को तैयार करना है. इसमें वे तय करेंगे कि किन इलाकों में पहले यह डीबीटी स्कीम लॉन्च की जाएगी और शुरू में कितने किसानों को इसमें कवर किया जाना है. इसमें बटाईदार किसानों को भी शामिल किया जाएगा ताकि सरकार को पता चल सके कि सब्सिडी का पैसा कहां-कहां जा रहा है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि सब्सिडी का पैसा केवल खेत के मालिक को ही मिले क्योंकि बड़ी संख्या में बटाईदार भी खेती करते हैं और उनका पैसा खर्च होता है.
अगर यह प्रोजेक्ट शुरू होता है तो इसमें सरकार को कई फायदे दिख रहे हैं. सबसे खास बात ये कि सरकार किसान के खेत और उसके रकबे के आधार पर सब्सिडी देगी. यहां तक कि किस फसल की बुवाई हुई है और खेत की मिट्टी कैसी है, इस आधार पर भी किसानों को खाद सब्सिडी का पैसा दिया जाएगा ताकि खाद और सब्सिडी का बेजा इस्तेमाल रोका जा सके.
आपको बता दें कि अभी भी पूरे देश में डीबीटी के जरिये खाद सब्सिडी दी जा रही है, लेकिन इसका फायदा किसानों को नहीं देकर खाद कंपनियों को दिया जाता है. जिस कंपनी की खाद, खाद डीलरों के यहां पीओएस मशीनों के जरिये बिकती है, उसी आधार पर सरकार कंपनियों को सब्सिडी देती है. लेकिन अगर किसानों को डायरेक्ट सब्सिडी का लाभ दिया जाए तो इसमें खर्च और लागत में बड़ी कमी आ सकती है.
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