देशभर में रबी सीजन में गेहूं की बंपर स्पीड में बुवाई जारी है. जबकि, कुछ इलाकों में गेहूं के बीज से अंकुर भी निकलने शुरू हो गए हैं. गेहूं बुवाई में तेजी की बड़ी वजह केंद्र की ओर से एमएसपी में 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी का ऐलान है. जबकि, कुछ किसान अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं कर सके हैं. ऐसे किसानों के लिए देरी से बुवाई वाली खास गेहूं की किस्म एचडी-2851 को इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है, इसे 20 दिसंबर तक बोया जा सकता है. यह किस्म अधिक तापमान सहने में सक्षम होने के चलते बंपर पैदावार देती है. गेहूं की बुवाई के साथ किसानों को यह जानना भी जरूरी है कि बुवाई के कितने समय बाद उन्हें सिंचाई करनी होगी.
इस बार खरीफ सीजन में अच्छे मॉनसून की वजह से किसानों ने जमकर खेती की है, जिसके चलते कई इलाकों में फसल कटाई में देरी का सामना भी करना पड़ा है. ऐसे में रबी सीजन में गेहूं की बुवाई में देरी देखी जा रही है. देरी वाले इलाकों के किसानों को गेहूं की खास किस्म एचडी-2851 के बीज का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है.
गेहूं की एचडी-2851 किस्म को पूसा नई दिल्ली ने विकसित किया है और इसीलिए इसे पूसा विशेष के नाम से भी जाना जाता है. यह किसानों को लेट बुवाई में सबसे अच्छी पैदावार देने में सक्षम है. गेहूं की इस किस्म के पौधों की लंबाई माध्यम यानी 90 सेंटीमीटर तक रहती है, जिसके चलते हवा से पौधे के गिरने की संभावना कम हो जाती है. यह खूबी इसे अच्छी पैदावार देने में सक्षम बनाती है. जबकि, यह किस्म अधिक तापमान झेलने के साथ ही पीला रतुआ रोग की रोकथाम करने में भी सक्षम है.
गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों को फसल में उचित समय पर सही मात्रा में पानी लगाने की सलाह दी है. कृषि एक्सपर्ट ने किसानों को बताया है कि गेहूं की फसल में कब-कब और कितना पानी देना चाहिए.
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