
Bulandshahr Farmer Story: जैविक खेती के लिए ऑस्ट्रेलियन ब्रीड केंचुए' वरदान साबित हो रहा है. यही वजह है कि बुलंदशहर के आसपास के कई जिलों में किसान बड़े पैमाने पर वर्मी खाद का खेती में इस्तेमाल और उत्पादन कर रहे हैं. दरअसल, इसके पहले ज्यादा पैदावार लेने किसानों ने रासायनिक खाद का सहारा लिया था. इसके साइड इफेक्ट से जमीन बंजर और पैदावार कमजोर होती गई. इसके बाद उन्हें जैविक खेती का महत्व समझ आया. इसी कड़ी में जनपद बुलंदशहर के गांव ओलीना निवासी किसान अशोक लोधी अपने करीब ढाई बीघा खेत में ऑस्ट्रेलियन ब्रीड केंचुआ द्वारा जैविक खाद तैयार कर रहे हैं.
इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से बातचीत में बुलंदशहर के किसान अशोक लोधी ने बताया कि वो बीते 20 सालों से जैविक खाद की खेती कर रहे है. लेकिन 2013 में हमनें ऑस्ट्रेलियन ब्रीड केंचुआ से जैविक खास तैयार करना शुरू किया. जो काफी हद तक सफल हुआ है. आज बहुत से किसानों के लिए यह खास वरदान साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि आज मार्केट में बहुत सारी केमिकल युक्त खाद आ गई है, जिससे एग्रीकल्चर का ग्रोथ नहीं हो पा रहा है. वर्मी कमोस्ट खाद में भी बहुत अंतर आ चुका है, मामला उसकी गुणवत्ता से जुड़ा हुआ है. किराए पर खेत लेकर वर्मी कमोस्ट खाद तैयार करने वाले अशोक कहते हैं कि आज किसानों को समझाना बहुत मुश्किल भरा काम है, क्योंकि किसान के पास खाद-बीज बनाने वाली कंपनियां तरह-तरह के प्रलोभन देकर अपनी माल बेचने के फिराक में रहते है.
ऑस्ट्रेलियन ब्रीड केंचुआ के बनी जैविक खाद के बारे में बताते हुए अशोक लोधी ने बताया कि गोबर व फसल अवशेष को मिलकर तथा उनमें ऑस्ट्रेलियन ब्रीड केंचुआ को छोड़कर जैविक का तैयार कर रहे हैं और वह नर्सरी ऊगा रहे लोगों व किसानों को 7.50 रुपये किलो से लेकर 25 रुपये किलो तक तैयार किए हुए जैविक खाद को बेच रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहली बार मेरठ के रहने वाले अपने साथी अमित त्यागी से ऑस्ट्रेलियन ब्रीड केंचुआ लेकर आए थे, तब से हम इसको अपने नर्सरी में पैदा कर रहे है. उससे तैयार जैविक खाद को बाजार में बेचकर हम अच्छा मुनाफा कमा रहे है.
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किसान अशोक लोधी ने बताया कि वह प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अपने करीब ढाई बीघा खेत में ऑस्ट्रेलियन केंचुआ द्वारा जैविक खाद तैयार कर रहे हैं तथा वह गाय व भैंस के गोबर व फसल अवशेषों, पेड़ों की पत्तियों को मिलाकर ऑस्ट्रेलियन ब्रीड केंचुए की मदद से जैविक खाद को तैयार कर रहे हैं और वह करीब 1 वर्ष में डेढ़ सौ टन जैविक खाद तैयार कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि एक साल में 60 प्रतिशत लागत लगाने के बाद 40 प्रतिशत मुनाफा हो जाता है. पिछले साल के मुनाफे के बारे में किसान अशोक ने बताया कि 135 टन खास का उत्पान हुआ था, 14 लाख रुपये की कमाई हुई थी, वहीं लागत निकालने के बाद 6 लाख रुपये का सीधा-सीधा मुनाफा हुआ था. उन्होंने बताया कि खाद के आलावा ऑस्ट्रेलियन केंचुआ को भी बेचते है, जिससे मुनाफा कमा रहे है. वह इस जैविक खाद को केवल 45 से 60 दिन में तैयार कर लेते हैं. जिससे वह एक वर्ष में 5 से 6 बार जैविक खाद तैयार कर लेते हैं.
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अशोक लोधी ने आगे कहा कि हम किसानों को इस जैविक खाद बनाने के लिए जागरूक भी करते है. जिस किसान की खेती में घाटा हुआ है. हमारे पास आते है तो हम उनको दावे के साथ अच्छी फसल की पैदावार करने की टिप्स देते है. जब तक उनकी फसल अच्छी नहीं होती हम एक भी पैसा उन लोगों से नहीं लेते है. यही वजह है कि आज बहुत से किसान मेरे से जुड़कर अपनी फसल को उगाकर बड़ा मुनाफा कमा रहे है. वहीं जैविक खाद का उपयोग करने से खेत की ऊपजाउ क्षमता बढ़ती है.
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