केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है और इसके लिए राज्य स्तर पर अभियान भी चलाए जा रहे हैं. पीएम मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री भी प्राकृतिक खेती के फायदे अपनाने की बात कई मंचों से कह चुके हैं. प्राकृतिक खेती के लिए रासायनिक खादों और कीटनाशकों से मिट्टी का बचाव करना होता है. ऐसे में प्राकृतिक खेती के लिए हरी खाद के रूप में मशहूर ढैंचा को उगाना जरूरी बन गया है और उसे जुताई करके खाद की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. राजस्थान की प्रगतिशील महिला किसान सुनीता पूर्विया ने ढैंचा की खेती और उसे खाद बनाने का तरीका और उसके फायदे बताए हैं.
राजस्थान सरकार के कृषि विभाग के अनुसार दोसा जिले की महिला किसान सुनीता पूर्विया ने ढैंचा के जरिए प्राकृतिक तरीके से खेती कर रही हैं और रासायनिक खादों से अपनी फसल को सुरक्षित रखा है. किसान सुनीता पूर्विया ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि ढैंचा की बुवाई के बाद 5 फीट उंचाई तक होने पर उसकी जुताई करके मिट्टी में मिला देना चाहिए. इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में इजाफा हुआ है.
सुनीता पूर्विया ने बताया कि वह दौसा जिले की तहसील लुहान के दिगाया गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने कहा कि वह और उनके पति जगदीश प्रसाद पूर्विया खेती करते हैं. उन्होंने बताया ग्राम सेवक के जरिए उन्हें ढैंचा के फायदे के बारे में पता चला और ढैंचा उगाने की ट्रेनिंग मिली. इसके बाद उन्होंने अपने खेत में 10 किलो ढैंचा बीज की बुवाई की है. इसके बाद उनके खेत को खाद की जरूरत पूरी होने में मदद मिली है.
महिला किसान ने बताया कि ढैंचा की फसल न तो बरसात में खराब होती है और न ही गर्मी में इस पर कोई फर्क पड़ता है. खास बात ये है कि इसमें किसी भी तरह का कीट भी नहीं लगता है. उन्होंने कहा कि जब खेत में ढैंचा का पौधा 4-5 फीट ऊंचाई का हो जाए तो उसमें ट्रैक्टर से हैरो लगाकर जुताई कर देनी चाहिए. यह ढैंचा का पौधा मिट्टी में मिलकर खाद बन जाता है.
प्रगतिशील सुनीता पूर्विया ने कहा कि अभी उनके खेत में ढैंचा की फसल खड़ी है, जिसे वह जुताई के जरिए मिट्टी में मिला देंगी. कुछ और जुताई के बाद खेत गेहूं की फसल की बुवाई के लिए तैयार हो जाएगा. उन्होंने कहा कि गेहूं फसल के विकास के लिए यह हरी खाद पर्याप्त होगी. इसके बाद फसल में रासायनिक खाद यानी डीएपी और यूरिया की जरूरत नहीं होगी.
महिला किसान ने कहा कि अभी उन्होंने एक खेत में हरी खाद यानी ढैंचा को उगाया है, लेकिन अगली फसल बुवाई के लिए वह 3-4 खेत में ढैंचा उगाकर हरी खाद की तरह इस्तेमाल करेंगे. इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ जाएगी और हमारी अच्छी पैदावार होने लगेगी. उन्होंने कहा कि हमें अच्छे ढैंचा बीज मिलने की उम्मीद है, ताकि अन्य किसानों का मनोबल बढ़े और वे हरी खाद का इस्तेमाल करना शुरू करें.
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