देश में आम की 1000 से अध‍िक क‍िस्में, इनमें से 775 लखनऊ में है सरंक्ष‍ित

देश में आम की 1000 से अध‍िक क‍िस्में, इनमें से 775 लखनऊ में है सरंक्ष‍ित

लखनऊ स्थि‍त केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान आम क‍ी क‍िस्मों को संंरक्ष‍ित करने में महत्वपूर्ण भूम‍िका न‍िभा रहा है. इस संस्थान में आम की 775 क‍िस्मों का जर्म प्लाज्म मौजूद है, जो देश ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे बड़ा आम की प्रजातियों का जर्म प्लाज्म है

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देश में आम की 1000 से अध‍िक क‍िस्में, इनमें से 775 लखनऊ में है सरंक्ष‍ित लखनऊ में आम की 775 क‍िस्मों काे क‍िया गया है संरक्ष‍ित

देशभर में आम की 1000 से अध‍िक क‍िस्में हैं. इसमें से 775 क‍िस्में लखनऊ में संरक्षि‍त हैं. असल में इन सभी 775 क‍िस्मोंं का जर्म प्लाज्म लखनऊ के केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में सरंक्ष‍ित क‍िया गया है. जर्म प्लाज्म पौधों का जीन होता है. इससे नए पौधों का जन्म द‍िया जा सकता है. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (Central Institute of Subtropical Horticulture) आम के जर्म प्लाज्म संरक्षण पर पिछले 50 सालों से काम कर रहा है. संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आशीष यादव ने बताया कि उनके संस्थान के द्वारा आम को संरक्षित ही नहीं किया जा रहा है बल्कि अलग-अलग क‍िस्मों को समृद्ध भी बनाया गया है.

दुन‍िया का सबसे बड़ा कलेक्शन  

उत्तर प्रदेश देश में आम (mango) के उत्पादन में सबसे आगे रहता है. यहां की राजधानी लखनऊ में मलिहाबाद और काकोरी क्षेत्र को फल पट्टी भी घोषित किया गया है. वहीं आम के उत्पादन में बढ़ोतरी और विविध किस्मों का संरक्षण में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान सबसे आगे रहता है. इस संस्थान में आम की 775 प्रजाति का जर्म प्लाज्म मौजूद है, जो देश ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे बड़ा आम की प्रजातियों का जर्म प्लाज्म है.

लखनऊ के रहमान खेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में 143 उत्तर भारतीय आम की किस्में मौजूद हैं, जबकि 78 पूर्वी भारतीय आम की किस्में, 187 दक्षिण भारतीय आम की किस्में, 37 पश्चिम भारतीय आम की किस्में हैं. इसके अलावा 18 विदेशी आम की किस्में भी यहां पर मौजूद है. संस्थान परिसर में 30 आम की हाइब्रिड ,51 दशहरी के क्लोन भी हैं. वहीं किसानों के द्वारा विकसित की गई आम की 25 किस्में भी यहां मौजूद है.  

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आम की क‍िस्मों पर व‍िलुप्त‍ि का खतरा

लगातार बढ़ रहे शहरीकरण की वजह से आम की क‍ई क‍िस्मों पर विलुप्ति‍ का खतरा बढ़ा है. ऐसे में आम की क‍िस्मों के जर्म प्लाज्म का संरक्षण बेहद ही महत्वपूर्ण हो जाता है. संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के द्वारा फल फसलों के अनुवांशिक संसाधनों का प्रबंधन पर भी कार्य किया जाता है, जिसके चलते आम की क‍िस्मों की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिल रहा है.

आम की रंगीन क‍िस्में व‍िकस‍ित कर चुका है संस्थान 

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई आम की अरुणिका और अंबिका ने संस्थान को विशेष पहचान दिलाई है. आम की ये दोनों ही क‍िस्में रंगीन हैं. वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आशीष यादव ने बताया आम की अरुणिका को सन 2000 में और अंबिका को 2008 में विकसित किया गया है. आम की इन किस्मों के पेड़ बौने और नियमित फल देने वाले हैं. अरुणिका का फल नारंगी पीले रंग की लालिमा से युक्त होता है. वही अंबिका भी आकर्षक रंगीन किस्म का आम है, जिसे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब पसंद किया जाता है.

दशहरी को रंगीन बनाने पर संस्थान का प्रयास जारी

दशहरी आम लखनऊ की खास पहचान है. यहां के मलिहाबाद की फल पट्टी में पिछले 300 सालों से इस आम ने अपनी खास पहचान बनाई है. वहीं केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आशीष यादव ने बताया कि संस्थान के द्वारा दशहरी आम को रंगीन वैरायटी के तौर पर विकसित करने के प्रयास हो रहे हैं. कुछ सालों के भीतर ही आम के चहेतों को दशहरी हरे रंग में नहीं बल्कि रंगीन रंग में खाने को उपलब्ध होगी.

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