बैंगन भारत के लगभग सभी भागों में उगाई जाने वाली एक प्रमुख फसल है. क्षेत्रफल और उत्पादन के नजरिए से बैंगन भारत की सभी सब्जियों में दूसरे स्थान पर है. यदि इसकी उपयुक्त उन्नत किस्मों और संकीर्ण किस्मों को बोया जाए और उन्नत वैज्ञानिक फसलों की खेती के साथ उचित कीट और रोग प्रबंधन के लिए समय पर प्रक्रियाएं अपनाई जाएं, तो किसान बैंगन की फसल से बहुत अधिक उत्पादन और आय प्राप्त कर सकते हैं. इससे विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं, जो बहुत लोकप्रिय हैं.
बैंगन की फसल में कीटों का प्रकोप बहुत होता है. जिससे न केवल उत्पादन प्रभावित होता है, बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. अतः कीट रोगों पर नियंत्रण के लिए नर्सरी स्थापना के समय से ही विभिन्न स्तरों पर प्रभावी कदम उठाये जाने चाहिए. ताकि कीटों के प्रभाव को कम किया जा सके. ऐसे में बैंगन के पत्तों पर थ्रिप्स कीट का अटैक सबसे अधिक रहता है. जिस वजह से किसानों को काफी नुकसान पहुंचता है.
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पत्तियों की ऊपरी सतह पर छोटे-छोटे सिल्वर रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जिसे अंग्रेजी में सिल्वरिंग कहते हैं. यही प्रभाव फूलों की पंखुड़ियों पर भी हो सकता है, यह जहां भी होता है वहां से रंग उड़ जाता है. पत्तियों की निचली सतह पर थ्रिप्स और उनके लार्वा अपने काले मल के धब्बों के आसपास समूह में बैठते हैं. प्रभावित पौधों की पत्तियां पीली, सूखी, विकृत या मुरझाई हुई दिखाई देती हैं. कली या फूल के विकास के दौरान खाने से फूल या फल धब्बेदार, अविकसित या विकृत हो जाते हैं और उपज में हानि होती है. थिप्स-यह कीट अति सक्ष्म और सफेद रंग का होता है. आरंभिक काल में यह कहीं-कही पौधे पर छोटे-छोटे समहों में दिखाई देता है, परन्त धीरे-धीरे यह परे पौधों पर छा कर पत्तियों से रस चूसने लगता ह. पौधे की श्वसन एवं भोजन बनाने की प्रकिया वाछित हो जाती है. और धीरे-धीरे पौधा सूखने लगता है.
थ्रिप्स के लिए खास कुछ जैविक नियंत्रण उपाय विकसित किए गए हैं. स्पिनोसैड किसी भी अन्य रासायनिक या अन्य जैविक तैयारी की तुलना में थ्रिप्स के खिलाफ अधिक प्रभावी पाया गया है. इसका प्रभाव एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकता है और छिड़काव किए गए जगहों से कुछ दूरी तक फैल सकता है. हालांकि, यह कुछ प्राकृतिक शत्रुओं (जैसे, शिकारी घुन, सिर्फ़िड मक्खी के लार्वा और मधुमक्खियों) के लिए जहरीला साबित हो सकता है. इसलिए, फूल वाले पौधों पर स्पिनोसैड न लगाएं. फूलों पर थ्रिप्स की उपस्थिति होने पर लहसुन के अर्क के साथ कुछ कीटनाशक मिलाकर लगाने से अच्छा लाभ मिलता है. उन किस्मों के लिए जो पत्तियों के बजाय फूलों पर हमला करती हैं. ऐसे में नीम के तेल या प्राकृतिक पाइरेथ्रिन का उपयोग करें.
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