कर्नाटक के कुछ जिलों में मिर्च पर ब्लैक थ्रिप्स का अटैक देखा जा रहा है. कर्नाटक में बेल्लारी का इलाका मिर्च की खेती के लिए मशहूर है. लेकिन यहां के किसान अभी मिर्च पर थ्रिप्स के खतरे से परेशान हैं. कर्नाटक से सटे आंध्र प्रदेश के रायलसीमा के कुछ हिस्सों में भी मिर्च की फसल में एक बार फिर से खतरनाक ब्लैक थ्रिप्स का संक्रमण सामने आया है. इसके अलावा, इस साल यह कीट हरियाणा में भी सामने आया है, जहां मिर्च को संरक्षित खेती (पॉलीहाउस में) के तहत उगाया जाता है. ब्लैक थ्रिप्स (थ्रिप्स परविसपिनस) एक बहुत ही खतरनाक चूसने वाला कीट है जो कोमल फूलों को खाता है, फूलों को गिराता है और मिर्च में फल गिरने का कारण बनता है जिससे उपज में कमी आती है.
गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड (GAVL) के क्रॉप प्रोटेक्शन बिजनेस के सीईओ एनके राजावेलु ने कहा कि कर्नाटक में ब्लैक थ्रिप्स का प्रकोप बढ़ रहा है, खासकर मौजूदा फसल सीजन में बेल्लारी के मिर्च उगाने वाले इलाकों के आसपास. बेल्लारी के आसपास के फसली इलाकों का करीब 60-70 फीसदी हिस्सा ब्लैक थ्रिप्स से ग्रसित है. यह जिला कर्नाटक का एक प्रमुख मिर्च उत्पादक क्षेत्र है, जहां तीखी गुंटूर किस्मों और पाउडर बनाने में इस्तेमाल होने वाली संकर किस्मों की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है.
हालांकि, देश के मुख्य मिर्च उत्पादक राज्यों आंध्र और तेलंगाना में, जहां फसल अभी भी शुरुआती अवस्था (35-50 दिन) में है, कीटों के संक्रमण की सूचना नहीं मिली है, लेकिन इन राज्यों में किसान खतरे को देखते हुए स्प्रे का इस्तेमाल कर रहे हैं, राजावेलु ने कहा.
ये भी पढ़ें: बेस्ट क्वालिटी का शिमला मिर्च उगाना है तो यहां से खरीदें बीज, जानें ऑनलाइन मंगाने का तरीका
बेल्लारी के हागरी में आईसीएआर-कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख गोविंदप्पा एमआर ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस फसल सीजन में जिले में ब्लैक थ्रिप्स का संक्रमण अधिक है. यह कीट इस क्षेत्र में सेट हो गया है. काली मिट्टी वाले क्षेत्रों में संक्रमण अधिक है और किसान कीटों से निपटने के लिए सप्ताह में कम से कम दो बार स्प्रे कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि केवीके कीटों से निपटने के लिए कीटनाशकों और दवाओं के बारे में किसानों को बता रहा है.
हुबली में हम्पाली ट्रेडर्स के बसवराज हम्पाली ने कहा कि किसान और व्यापारी सतर्क हैं और फसल के विकास पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कोई भी बेमौसम बारिश संक्रमण को बढ़ा सकती है. 2021-22 के फसल सीजन के दौरान प्रकोप के बाद से ही मिर्च किसानों और व्यापारी के लिए ब्लैक थ्रिप्स चिंता का विषय रहा है क्योंकि संक्रमण के फैलने से फसल को भारी नुकसान हुआ है.
ये भी पढ़ें: मसाला उत्पादन में MP बना अव्वल, 54 लाख टन पैदावार से किसानों ने बनाया रिकॉर्ड
जोधपुर में साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (SABC) के संस्थापक निदेशक भागीरथ चौधरी ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, "मिर्च के काले थ्रिप्स ने भारत के मिर्च उगाने वाले सभी क्षेत्रों में अपना पैर जमा लिया है, जिससे मिर्च की पैदावार में काफ़ी नुकसान हुआ है, जबकि किसानों ने दो दर्जन अतिरिक्त कीटनाशकों का छिड़काव किया है, जिस पर प्रति एकड़ कम से कम 8,000-10,000 रुपये का अतिरिक्त खर्च आया है. चूंकि यह रबी 2021 में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में मिर्च पर विनाशकारी आक्रमण है, इसलिए कई क्षेत्रों में काले थ्रिप्स फिर से उभर आए हैं. बताया जाता है कि इसने उत्तर भारत में संरक्षित खेती को भी बुरी तरह प्रभावित किया है, और यह एक प्रमुख कीट बन गया है, जो मौजूदा प्रजाति सिर्टोथ्रिप्स डोर्सालिस को हटा कर अपना कब्जा जमा रहा है."
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today