Kharif Special: रागी और कुटकी की बायोफोर्टिफाइड किस्में, जाने इन किस्मों के क्या फायदे हैं ?

Kharif Special: रागी और कुटकी की बायोफोर्टिफाइड किस्में, जाने इन किस्मों के क्या फायदे हैं ?

Kharif Special: अब कुटकी और रागी को न्यूनमत समर्थन मूल्य द‍िए जाने की तैयारी है. इसको लेकर प्रारूप तैयार क‍िया जा रहा है. ऐसे में किसानों को बेहतर उत्पादन मिले इसके लिए जरूरी है कि इनकी अच्छी किस्मों जानकारी लेकर खेती करें.

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Kharif Special: रागी और कुटकी की बायोफोर्टिफाइड किस्में,  जाने इन किस्मों के क्या फायदे हैं ?रागी और कुटकी की बायोफोर्टिफाइड किस्में- फोटो - क‍िसान तक

खरीफनामा: इंटरनेशनल ईयर ऑफ म‍िलेट्स की दुन‍िभर में धूम है. भारत की पहल के बाद दुन‍ियाभर में म‍िलेट्स यानी मोटे अनाजों को बढ़ावा द‍िया जा रहा है, ज‍िसमें भारत की शाम‍िल है. इसके ल‍िए सरकार कई प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में देश के अंदर मोटे अनाजों में शाम‍िल कुटकी और रागी की खेती को भी बढ़ावा द‍िया जा रहा है, ज‍िसके बाद क‍िसानों के बीच कुटकी और रागी की खेती का क्रेज बढ़ा है, लेकिन किसानों को कुटकी और रागी का बेहतर उत्पादन मिले, इसके लिए जरूरी है कि क‍िसान कुटकी और रागी की अच्छी क‍िस्मों का चयन करें. ऐसे में रागी और कुटकी की बायोफोर्ट‍िफाइड क‍िस्में समाधान नजर आती हैं. 

क‍िसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में रागी और कुटकी की बायोफोर्टिफाइड किस्मों के बारे में पूरी जानकारी. ये बायोफोर्टिफाइड क‍िस्में क‍िसानों को मोटा मुनाफा द‍िला सकती हैं. 

पोषक तत्वों से भरपूर हैं रागी ओर कुटकी  

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा में जेनेटिक्स व‍िभाग के प्रधान वैज्ञानिक और मोटे अनाजों के व‍िशेषज्ञ डॉ सुमेर पाल सिंह ने किसान तक से बातचीत में कहा की रागी और कुटकी जैसी पारंपरिक फसलों के प्रजनन से कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने विभिन्न बायोफोर्टिफाइड (जैव संवर्धित) किस्मों का विकास किया गया है, जिसमे कुटकी की किस्मों में लोहे एवं जस्ते की मात्रा बढ़ाई गई है तो वहीं रागी की किस्मों में लोहा, जस्ता एवं कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाया गया है. उन्होंने बताया क‍ि ये फोर्ट‍िफाइड क‍िस्में बेहतर उपज दे रही है.

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रागी की बायोफोर्टिफाइड किस्में

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ सुमेर पाल सिंह ने कहा कि रागी पौष्टिकता से भरपूर अनाज है, जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों को काफी पसंद आ रही है. उन्होंने बताया क‍ि रागी प्राकृतिक रूप से कैल्शियम से भरपूर है. यह बच्चों से लेकर व्यवस्कों में हड्डियों को मजबूत करता है. यह पौष्टिक होने के साथ-साथ सस्ता और सुपाच्य भी है. उन्होंने बताया क‍ि रागी की कई फोर्ट‍िफाइड क‍िस्में हैं.

बीआर-929 वेगवती से पाएं 36 क्व‍िंटल तक उपज

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ सिंह ने कहा क‍ि रागी की वीआर 929 की औसत उपज 36.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 118 दिन में पक जाती है. इस क‍िस्म को आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय गुंटूर की लघु कदन्न की ICAR-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत विकसित क‍िया गया है. इसे देश के सभी भागों के लिए 2020 में जारी किया गया. इसमें आयरन 131.8 पीपीएम है.

113 द‍िन में पक कर हो जाती है तैयार सीएफएमवी-1 इंद्रावती क‍िस्म

रागी की सीएफएमवी-1 इंद्रावती की औसत उपज 31.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 113 दिन में पक जाती है. इस किस्म को एआरएस आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय विजयनगरम की लघु कदन्न की ICAR-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत विकसित क‍िया गया है. इसे आंध्र प्रदेश तमिलनाडु, कर्नाटक, पुडुचेरी और ओडिशा राज्यों के लिए 2020 में जारी किया गया. इसमें कैल्शियम 428 मि‍ग्रा प्रति 100 ग्राम, आय़रन  58 एवं  जिंक 44 पीपीएम है.

कैल्श‍ियम की अध‍िकता वाली सीएफएमवी-2 क‍िस्म 

क‍िसान तक से बातचीत में उन्होंने कहा क‍ि रागी की सीएफएमवी-2 क‍िस्म को कैल्श‍ियम की अध‍िकता वाली क‍िस्म माना जाता है. इस क‍िस्म की औसत उपज 29.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 120 दिन में पक जाती है. यह किस्म हिल मिलेट रिसर्च स्टेशन, नवसारी की लघु कदन्न की ICAR-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत विकसित क‍िया गया है. इसे आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र और ओडिशा राज्यों के लिए 2020 में जारी किया गया था. इसमें कैल्शियम 454 मिग्रा प्रति 100 ग्राम, आय़रन 39 एवं जिंक 25 पीपीएम है.

कुटकी की बायोफोर्टिफाइड किस्में

कुटकी का उपयोग देश के कई आदिवासी क्षेत्रों में लंबे समय से किया जाता रहा है. यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभदायक है, इसलिए अब इन अनाजों का प्रयोग अन्य क्षेत्रों में भी खूब होने लगा है. जानकारों के अनुसार कुटकी में प्रोटीन और विटामिन से भरपूर अनाज माना गया है. इसका सेवन मधुमेह और बीपी जैसी बीमारियों में लाभकारी होता है

100 द‍िन में तैयार होगी कुटकी की सीएलएमवी- 1 क‍िस्म

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ सुमेर पाल सिंह ने कहा की कुटकी की बायोफोर्टिफाइड किस्म सीएलएमवी-1 की औसत उपज 15.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 100 दिन में पक जाती है. यह किस्म भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान हैदराबाद द्वारा विकसित की गई है. इसे महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और पुडुचेरी राज्यों के लिए 2020 में जारी की गई है. इसमें आयरन 59 एवं जिंक 35 पीपीएम है.

 

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