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Ramadan: रमजान पर खजूर हो जाते हैं खास! यहां पढ़ें 8 क‍िस्म के खजूरों की जानकारी

Ramadan: रमजान पर खजूर हो जाते हैं खास! यहां पढ़ें 8 क‍िस्म के खजूरों की जानकारी

रमजान के दौरान हर गरीब और अमीर के रोजा इफ्तार में खजूर जरूर होता है. यहींं वजह है कि बाजारों में ठेले पर 100 रुपये का एक किलो खुला हुआ खजूर भी बिक रहा है. वहीं 26 सौ रुपये किलो के भाव से अजवा और 350 रुपये किलो टहनी वाला खजूर भी बिक रहा है.

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खजूर का प्रतीकात्मक फोटो. खजूर का प्रतीकात्मक फोटो.

रमजान (रोजे) की शुरुआत हो गई है. एक महीने (30 दिन) के रोजे रखने के बाद ईद मनाई जाती है. बाजार में भी रमजान को लेकर सज चुका है. खासतौर पर बाजार में खजूर की एक से बढ़कर एक वैराइटियां आ रही हैं. अरब के अजवा खजूर से लेकर ट्यूनीशिया-अल्जीरिया के डेगलेट-मेडजूल खजूर से बाजार सज चुके हैं. कीमत के मामले में 100 रुपये किलो से लेकर 25 सौ रुपये किलो के रेट वाला खजूर भी बाजार में बिक रहा है. गौरतलब रहे रमजान के महीने में सुबह सेहरी में और शाम को इफ्तार में खजूर खाए जाते हैं. 

खजूर के बड़े कारोबारियों की मानें तो खजूर की 200 से ज्यादा किस्में पाई जाती हैं. यह सभी अलग-अलग देशों में होती हैं. खजूर की सबसे ज्यादा वैराइटी अरब देशों में पैदा होती हैं. खास बात यह है कि 25 से 30 तरह का खजूर तो भारतीय बाजारों में ही मिल जाता है.

देश में उम्दा किस्म के खजूर खाने के शौकीन भी हैं तो इसलिए बाजार में 25 से 35 सौ रुपये किलो वाला अजवा खजूर खूब बिकता है. खजूर के शौकीन अरब के साथ ही ट्यूनीशिया-अल्जीरिया और मोरक्को का खजूर भी पसंद करते हैं. इराक की भी दो खास वैराइटी देश में खूब पसंद की जाती हैं. आइए जानते हैं रमजान के अवसर पर सबसे पसंद क‍िए जाने वाले खजूरों की 8 प्रमुख वैरायटी कौन सी है.   

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इन खजूर से भी सजेगा रोजा इफ्तार का दस्तवरख्वान 

डेगलेट नूर – 

डेगलेट नूर खजूर ट्यूनीशिया और अल्जीरिया दोनों ही जगहों पर पाया जाता है. जैसे अजवा खजूर अरब देश की बेहतरीन किस्म है, उसी तरह से डेगलेट नूर ट्यूनीशिया और अल्जीरिया की खास वैराइटी है. डेगलेट नूर की खासियत यह है कि यह थोड़ा सूखा और कम मीठा होता है. डायबिटीज के मरीज भी बिना डरे से खा सकते हैं. हालांकि भरपूर उत्पादन न होने के चलते यह भारतीय बाजारों में कम ही दिखता है. 

मेडजूल –

मेडजूल खजूर मोरक्को में पैदा होता है. इसकी खास बात यह है कि अपने स्वाद के चलते इसे बहुत पसंद किया जाता है. लोग मेडजूल को टॉफी की तरह से खाते हैं. वैसे तो सभी वैराइटी के खजूर के लिए यह बात कही जाती है, लेकिन मेडजूल को सबसे पौष्टिक खजूर कहा गया है. यह गहरे काले रंग का खजूर होता है. 

बरही – 

बरही खजूर अपने रंग और साइज के चलते एक अलग ही पहचान रखता है. बरही गोल्डन कलर का होता है. बाकी के खजूर से इसका स्वाद बहुत ही अलग होता है और सबसे बड़ी खास बात जो इसकी पहचान भी है, वो यह कि इस खजूर में गूदा बहुत होता है. इसीलिए यह दिखने में मोटा भी होता है. 

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हल्लवी – 

हल्लवी खजूर खासतौर पर इराक की वैराइटी है. यह दिखने में बहुत छोटा होता है, लेकिन इसके अंदर मिठास बहुत होती है. स्वाद में भी यह बहुत अच्छा माना जाता है. दूसरे खजूर की तरह से हल्की बारिश में इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. 

हयानी –

 हयानी खजूर के भारतीय बाजारों में कम दिखने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इसे ताजा ही खाया जाता है. क्योंकि दूसरे खजूर के मुकाबले हयानी जल्दी खराब होने वाला खजूर है. यह बहुत ही मुलायम और गहरे रंग का होता है. 

खदरावई –

खदरावई खजूर भी इराक में ही ज्या‍दा पैदा होता है. खदरावई की खास बात यह भी है कि इस खजूर के पेड़ दूसरे पेड़ के मुकाबले कम लंबे होते हैं. 

डेयरी – 

यह खजूर गहरे काले रंग का होता है. इसकी खास बात यह है कि दूसरे खजूर के मुकाबले यह काफी लंबा होता है.

इतिमा– 

यह खजूर भी स्वाद में काफी मीठा होता है. इतिमा अल्जीरिया की वैराइटी है.

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