कई सूबों की सरकार अपने किसानों से डाइ-अमोनियम फॉस्फेट यानी डीएपी की जगह सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) का इस्तेमाल करने की सलाह दे रही हैं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. इसका जवाब यह है कि कई राज्यों में इस समय रासायनिक उर्वरकों का संकट चल रहा है. खासतौर पर डीएपी का. चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिश के मुताबिक एक बैग डीएपी या 3 बैग एसएसपी या डेढ़ बैग एनपीके (12:32:16) का प्रयोग करके फास्फोरस की आपूर्ति पूर्ण कर सकते हैं. कुछ वैज्ञानिकों का तो यहां तक कहना है कि सिंगल सुपर फास्फेट को यूरिया के साथ प्रयोग करें तो डीएपी से बेहतर होगा.
डीएपी और एसएसपी का गुणाभाग समझने से पहले उर्वरकों की सप्लाई की बात कर लेते हैं. अक्टूबर में डीएपी, यूरिया और एमओपी (Muriate of Potash) की सप्लाई में रिकॉर्ड कमी रही है. देश भर में अक्टूबर के दौरान डीएपी की मांग 18,38,765 मिट्रिक टन रही है. जबकि 15,06,064 टन की सप्लाई हुई है. ऐसे में इसके विकल्प के तौर पर एसएसपी को इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जा रहा है. ताकि फसलों की बुवाई और वृद्धि प्रभावित न हो.
सिंगल सुपर फास्फेट में नाईट्रोजन की उपलब्धता यूरिया से हो जाती है. साथ ही इसमें सल्फर, कैल्शियम मौजूद है जो कि डीएपी में नहीं है. जहां सिंगल सुपर फास्फेट में नाईट्रोजन की मात्रा जीरो परसेंट है वहीं डीएपी में यह 18 फीसदी पाया जाता है. इसलिए एसएसपी का यूरिया के साथ इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. यूरिया में 46 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है.
डीएपी में 46 फीसदी फास्फोरस रहता है जबकि एसएसपी में सिर्फ 16 फीसदी. यानि की डीएपी की तुलना में एसएसपी में फास्फोरस 30 परसेंट कम है. इसलिए जब भी एसएसपी का प्रयोग करें तो डीएपी की तुलना में तीन गुना ज्यादा होना चाहिए. फास्फोरस फसलों के विकास और उत्पादकता बढ़ाने का काम करता है. फास्फोरस पौधों को न मिले तो फल-फूल बनने की प्रक्रिया कम हो जाती है. उत्पादन पर इसका बहुत नकारात्मक असर पड़ता है.
डीएपी के एक बैग का दाम 1350 रुपये है. डीएपी की जगह सिंगल सुपर फास्फेट की 3 बोरी और यूरिया का एक बैग लें तो इसकी कीमत 1541 रुपये होगी. ऐसे में डीएपी के लिए भागदौड़, लाइन में लगने और परेशान होने से अच्छा एसएसपी और यूरिया का इस्तेमाल है.
हरियाणा सरकार किसानों को डीएपी के विकल्प के तौर पर एसएसपी का इस्तेमाल करने की सलाह भी दे रही है और यह दावा भी कर रही है कि डीएपी की सप्लाई पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है. कृषि मंत्री जेपी दलाल का कहना है कि साल 2021 में सितंबर से नवंबर तक प्रदेश में 2 लाख 78 हजार मीट्रिक टन डीएपी की बिक्री हुई थी. जबकि 2022 में सितंबर से 21 नवंबर तक 3 लाख 6 हजार मीट्रिक टन डीएपी की बिक्री हो चुकी है. किसान गेंहू की बिजाई में डीएपी खाद के स्थान पर एसएसपी व एनपीके का प्रयोग भी कर सकते हैं.
दलाल का दावा है कि केंद्र सरकार राज्य में रोजाना 2 से 3 हजार मीट्रिक टन डीएपी/एनपीके उपलब्ध करवा रही है. खाद की बिक्री प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन से ही की जानी है. किसान संयम रखते हुए खाद की खरीद करें ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न फैले. उन्होंने किसानों के नाम जारी संदेश में कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को गेंहू की बिजाई के लिए पर्याप्त डीएपी खाद उपलब्ध करवाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
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