मध्य प्रदेश में एक तरफ किसान बारिश के पानी से परेशान है तो दूसरी तरफ धान की फसल के लिए यूरिया न मिलने से परेशानी बढ़ गई है. अशोकनगर जिले में किसान यूरिया के लिए आधी रात से लाइन में लगे हुए हैं लेकिन प्रशासन की व्यवस्थाओं के कारण वे काफी ज्यादा परेशान हैं. किसानों की परेशानी सुनने वाला जब कोई अधिकारी मौके पर नहीं आया तो किसानों ने चक्का जाम कर दिया. यहां हजारों की संख्या में किसान यूरिया लेने गोदाम पर पहुंच रहे हैं. गोदाम पर आने के बाद यूरिया नहीं मिलने से किसानों में मायूसी के साथ रोष भी देखा जा रहा है.
अशोकनगर में प्रशासन ने यूरिया वितरण की ऐसी व्यवस्था बनाई कि किसान परेशान हैं. किसानों को पहले टोकन दिया जाता है जिसके लिए उन्हें लाइन में लगना होता है. फिर यूरिया लेने के लिए दो दिन बाद का समय दिया जाता है जिससे फिर से किसानों को अपने नंबर के इंतजार में घंटों लाइन में खड़ा रहना होता है. हर साल किसानों को इसी तरह परेशान होना पड़ रहा है. किसानों को आधी-आधी रात से लंबी-लंबी कतारें लगाकर अपना नंबर आने का इंतजार करना पड़ रहा है. यूरिया लेने के लिए जहां हजारों किसान एक साथ पहुंचते हैं तो संबंधित अधिकारी कुछ सैकड़ा टोकन बांटकर इति श्री कर लेते हैं जिससे किसान लगातार परेशान होता नजर आ रहा है.
अशोकनगर में शुक्रवार को प्रबंधन ने 17 सौ टोकन बांटे जिन पर किसानों को दो दिन बाद यूरिया खाद मिलेगी. 2 दिन पहले बांटे गए टोकन वाले किसानों को शुक्रवार को यूरिया दी गई. गोदाम पर पहुंचे किसानों को जब पर्चियां और यूरिया नहीं मिली तो उन्होंने विदिशा रोड पर ही बैठकर चक्का जाम कर दिया. चक्का जाम के दौरान "श्री राम जय राम जय जय राम" भजन गाकर किसानों ने अपना विरोध दर्ज कराया. यहां किसानों की भारी भीड़ को संभालने के लिए पुलिस की तैनाती करानी पड़ी. वीडियो में देखा जा सकता है कि भारी संख्या में किसान यूरिया के लिए गोदाम के बाहर जुटे हुए हैं. दूसरी ओर प्रबंधन की ओर से माइक पर बताया गया कि अब किसी भी किसान को खाद के लिए टोकन जारी नहीं किया जाएगा. इसके बाद किसानों ने विरोध शुरू कर दिया.
किसानों की शिकायत है कि पीली पड़ रही फसलों को बचाने के लिए यूरिया की जरूरत है यूरिया लेट से मिल रही है. वितरण में हो रही इस देरी को लेकर किसानों ने विरोध किया. इसी के साथ एक किसान को 4 बोरी यूरिया देने के नियम पर भी किसान विरोध जता रहे हैं. यूरिया के टोकन वितरण के दौरान भी किसान और प्रबंधन में झड़प हुई. हालांकि इसे शांति से दूर कर लिया गया.(राहुल कुमार जैन का इनपुट)
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