
बिहार में चुनावी साल है और इस माहौल में उप-मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने किसान कल्याण संवाद कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है. बुधवार को उन्होंने सीतामढ़ी जिले के पुनौरा धाम से इस संवाद कार्यक्रम की शुरुआत की, जहां किसानों ने कृषि में आ रही समस्याओं से उन्हें अवगत कराया. वहीं, कृषि मंत्री ने सरकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया.
गौरतलब है कि सीतामढ़ी दौरे के दौरान कृषि मंत्री ने मुरादपुर में एक टन प्रति घंटे की क्षमता वाली बीज प्रसंस्करण इकाई और 500 मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम का उद्घाटन भी किया. उन्होंने पुनौरा धाम से किसान कल्याण संवाद कार्यक्रम की शुरुआत को प्रतीकात्मक बताते हुए कहा कि यह वही स्थान है जहां आदि-कृषक विदेहराज जनक ने हल चलाकर कृषि परंपरा की नींव रखी थी और जहां माता सीता का प्रादुर्भाव हुआ था.
कृषि मंत्री ने बताया कि मुरादपुर में एक टन प्रति घंटे की क्षमता वाली बीज प्रसंस्करण इकाई और 500 मीट्रिक टन की क्षमता वाला गोदाम किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने में सहायक होगा. साथ ही, इससे प्रसंस्करण की आधारभूत संरचना मजबूत होगी. जिले में 300 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती करने वाले 407 किसानों को 300 क्विंटल गेहूं का आधार बीज उपलब्ध कराया गया है, जिससे अनुमानित 10,500 क्विंटल प्रमाणित गेहूं बीज का उत्पादन होगा. इसका भंडारण और प्रसंस्करण अब स्थानीय स्तर पर ही संभव होगा. इससे बीज समय पर और गुणवत्तायुक्त रूप में किसानों को उपलब्ध हो सकेगा.
सीतामढ़ी में मंत्री ने जहां बीज इकाई और गोदाम की सौगात दी, वहीं मार्च में घोषित किसान कल्याण संवाद कार्यक्रम की भी शुरुआत पुनौरा धाम से की. इस दौरान किसानों से सीधा संवाद कर उन्होंने कृषि कार्यों में आ रही समस्याओं और चुनौतियों को समझा और हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया.
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कृषि मंत्री ने कहा कि भारत की लगभग 46 प्रतिशत और बिहार की 88 प्रतिशत ग्रामीण आबादी कृषि पर निर्भर है. किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए फसल विविधीकरण और उत्पादन वृद्धि पर ज़ोर देना होगा. प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना के तहत 100 आकांक्षी जिलों में सतत कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे करीब 1.70 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा. आगे उन्होंने ने कहा कि बजट 2024-25 में 32 फसलों और बागवानी से जुड़ी 109 उच्च उत्पादकता और जलवायु अनुकूल किस्में जारी की गई हैं. साथ ही, फूलों की खेती को 100 प्रतिशत निर्यात नीति के तहत प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
मंत्री ने कहा कि मखाना बोर्ड के गठन से मिथिला क्षेत्र के एक करोड़ से अधिक किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा. इससे 50,000 किसान परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ होगा. यह बोर्ड मखाना को वैश्विक बाज़ार में पहुंचाने में सहायक बनेगा, क्योंकि बिहार देश का 85 प्रतिशत और दुनिया का 60 प्रतिशत मखाना उत्पादन करता है.
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