बता दें कि इन दिनों में पर्वतीय क्षेत्रों में पॉक्स वायरस से फैलने वाली बीमारी लंपी स्किन डिजीज का खतरा बढ़ गया है. इस बीमारी की चपेट में आने से अधिकतर गौवंशीय और महिषवंशीय पशु प्रभावित होते हैं. बीमारी के फैलने से पहले ही रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं.
बिच्छू घास जिसे मास्टर जी की बेंत समझते थे या गरीबों की सब्जी समझते थे, उसे ऐसा रूप दिया जा रहा है जिसे अब चाय के रूप में दूर-दूर देशों में बेचा जा सकेगा. इसके रेशे से अंगवस्त्र, जैकेट या शॉल बनाकर लोगों तक पहुंचाया जाएगा. उत्तराखंड के कई इलाकों में बिच्छू घास बहुतायत में होती है, लेकिन उसका उपयोग पूरा नहीं हो पाता.
सर्दी के मौसम में जब तापमान काफी कम हो जाता है तो घर की छतों पर रखे हुए पौधों के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं. उनका विकास भी प्रभावित हो जाता है. ऐसे में सर्दियों के समय इन पौधों की अतिरिक्त देखभाल करने की जरूरत होती है
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