मानसून के महीने में हर साल सर्पदंश से देश में सबसे ज्यादा मौतें होती है. देश के भीतर हर साल 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत सांप काटने से होती है. यह पूरी दुनिया में सांप काटने से मरने वालों की कुल संख्या का 80 फ़ीसदी है. वही देश के आंकड़ों में सांप काटने से मरने वालों में सबसे आगे उत्तर प्रदेश है. सर्पदंश से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा किसान शामिल हैं क्योंकि मानसून के दौरान खेतों में सिंचाई करने या काम करने के दौरान वे सर्पदंश से पीड़ित होते हैं. पशु चिकित्सक डॉक्टर अजय सिंह ने बताया मानसून के दौरान अपने बिलों में पानी भरने के चलते सांप बाहर निकलते हैं. वही सर्प दंश से मौतों के ज्यादातर मामले शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों से आते हैं.
बारिश के मौसम में सांप अपनी बिल से बाहर निकल कर सुरक्षित स्थान ढूंढने लगते हैं. इसी दौरान खेतों में अक्सर उनका सामना किसानों से होता है. देश के भीतर उत्तर प्रदेश में सर्पदंश से सबसे ज्यादा मौतें होती है. वही इन मौतों में सबसे ज्यादा किसान शामिल होते हैं. उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों के जिला अस्पताल में इन दिनों सर्प काटने वाली मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. बिजनौर में 15 दिन के भीतर एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत सर्प काटने से हो चुकी है तो वहीं पिछले 24 घंटे के भीतर उत्तर प्रदेश में आधा दर्जन किसान सर्पदंश का शिकार हुए हैं.
सर्पदंश (Snake bite) से ज्यादातर मौतें ग्रामीण इलाकों में होती है. वही इन मौतों के पीछे सबसे बड़ी वजह झाड़-फूंक पर भरोसा करना है. सर्पदंश की स्थिति में लोग पीड़ित को अस्पताल ले जाने की जगह तांत्रिक या ओझा के पास ले जाते हैं. ऐसी स्थिति में पीड़ित मरीज की मौत इलाज ना मिल पाने के कारण हो जाती है. हर सरकारी अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन मौजूद होता है. अगर मरीज को 1 घंटे के भीतर एंटी स्नेक वेनम की खुराक मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है.
सांप काटने के दौरान पीड़ित व्यक्ति ज्यादा घबरा जाता है. उसकी सांसे तेज चलने लगती है जिससे मांस पेशियों में कैल्शियम की कमी से पैरालाइसिस हो जाता है. गैस्ट्रो के चिकित्सक डॉ विनय सचान का कहना है कि मरीज के घबराहट का सीधा असर हृदय पर पड़ता है. ऐसे में सांप काटने से शहर से नहीं बल्कि घबराहट से मरीज की मौत हो जाती है.
सांप काटने से ज्यादातर मौतों के पीछे का कारण लोगों की नासमझी भी है. चिकित्सक विनय सचान का कहना है कि पीड़ित को सांप काटने के पहले घंटे के भीतर ही अस्पताल में लगने वाले anti-venom शॉट की जरूरत होती है. वही जहर को शरीर में फैलने से रोकने के लिए उल्टी-सीधी हरकत करने से बचने की सलाह भी दी जाती है. सांप काटने वाला व्यक्ति अगर 1 किलोमीटर या 10 मिनट से कम चलता है तो ऐसे मामलों में मृत्यु दर कम होने की संभावना है.
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सांप काटने के बाद अक्सर लोग काटे हुए स्थान को रस्सी से बांध देते हैं जबकि ऐसा करने पर खून की आपूर्ति बाधित हो जाती है जिसके चलते नसों में ब्लॉकेज होने से नैक्रोसिस का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति में प्रभावित अंग को काटने की नौबत तक आ जाती है. सांप काटने की जगह पर चीरा लगाकर खून निकालने का प्रयास भी बिल्कुल न करें. वही कुछ लोग कांटे हुई जगह से खून चूस कर बाहर निकालने का प्रयास करते हैं जबकि इससे बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
देश के भीतर 90 फ़ीसदी सांप जहरीले नहीं है. बिजनौर जिले के डीएफओ ए.के सिंह का कहना है कि मात्र 4 प्रजातियों के साथ ही जहरीले होते हैं जिनमें कोबरा और करैत का जहर सबसे ज्यादा असरदार होता है. जहरीले सांपों का असर बड़ों की अपेक्षा बच्चों पर तेज होता है. करैत और कोबरा का जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है जिससे तंत्रिका तंत्र से जुड़ी हुई समस्याएं पैदा हो जाती है. सांप काटने पर आंखों की पलकें गिरने लगती है और पीड़ित को दो-दो व्यक्ति दिखाई पड़ने लगते हैं. आवाज भी लड़खड़ा ने लगती है. इसके बाद श्वसन मार्ग की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है और कुछ देर बाद हाथ पैर काम करना बंद कर देते हैं. ऐसे में व्यक्ति की मौत हो जाती है.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार सर्पदंश से होने वाली मौतों को राज्य आपदा घोषित किया है. सांप काटने पर अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को सरकारी राहत कोष से ₹400000 की आर्थिक मदद मिलेगी. सर्पदंश के मृतक के आश्रित को आर्थिक सहायता के लिए विभागों के चक्कर न लगाना पड़े. इसके लिए संबंधित अधिकारी को घटना के 7 दिन के भीतर ही सरकारी मुआवजे की राशि देने के निर्देश भी हैं.
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