मंदिर में हर रोज श्रद्धालुओं के द्वारा भारी मात्रा में फूल चढ़ाए जाते हैं जो बाद में फेंक दिए जाते हैं. ऐसे में इन फूलों को उपयोग में लेकर अगरबत्ती बनाने का काम पूरे देश में जोर-शोर से शुरू हो चुका है. इसी कड़ी में लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान (CIMAP) ने भी बेसहारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए फूलों से अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया है. सीमैप से अभीतक 300 से ज्यादा महिलाएं ट्रेनिंग ले चुकी हैं. सीमैप द्वारा महिलाओं को फूलों को सुखाने से लेकर अगरबत्ती तैयार करने तक की पूरी ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे महिलाएं प्रतिदिन लगभग 500 से लेकर 1000 रुपये तक की आमदनी कर सकती हैं.
सीमैप में अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग देने वाले धर्मेश कुमार के अनुसार, कोरोना काल के दौरान हुई मौतों की वजह से देश में बहुत सी महिलाएं बेसहारा हो गई थीं. इसी के मद्देनजर विधवा और गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सीमैप द्वारा अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. मंदिर में हर रोज काफी फूल चढ़ने के बाद खराब हो जाते हैं. ऐसे में महिलाओं को इन फूलों को सुखाकर उनसे अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग देने का काम किया जा रहा है. एक महिला घर बैठे दिन भर में 3 किलो अगरबत्ती बना सकती है. 3 किलो अगरबत्ती बनाने में कुल लागत
300 रुपये तक आती है. अगरबत्ती को बाजार में बेचकर 500 से लेकर 1000 रुपये तक की आमदनी हो जाती है. गरीब और बेसहारा महिलाओं के लिए फूलों से अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग काफी ज्यादा लाभकारी है.
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सीमैप के द्वारा फूलों से अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग प्रोग्राम से महिलाओं को ही नहीं, बल्कि फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी फायदा होगा. फिलहाल गुलाब, गेंदा के फूलों में तुलसी को मिलाकर अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जा रहा है. इससे लखनऊ और आसपास की महिलाओं को काफी लाभ हुआ है. वही फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा. वही मंदिर में चढ़ने वाले फूलों को भी दोबारा से उपयोग में लाया जा सकेगा.
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