गर्मियों में शरीर को ठंडक पहुंचाने और गले को तर करने का तरबूज से अच्छा विकल्प कोई और नहीं हो सकता. तरबूज गर्मियों का सबसे खास फल है. तरबूज अपने मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है. इसमें 90 प्रतिशत से अधिक पानी की मात्रा पाई जाती है. तरबूज की खेती जायद के सीजन में की जाती है. किसान इसे नकदी फसल के तौर पर उगाते हैं. गर्मियों के मौसम में तरबूज की मांग बाजारों में काफी बढ़ जाती है. ऐसे में अगर आप भी तरबूज की खेती करना चाहते हैं और उसका बीज मंगवाना चाहते हैं तो आप नीचे दी गई जानकारी की सहायता से तरबूज की अर्का मानिक किस्म का बीज ऑनलाइन आसानी से अपने घर मंगवा सकते हैं.
किसान मौजूदा समय में नकदी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. इसलिए किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती करते हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन तरबूज का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर बंपर कमाई कर सकते हैं. साथ ही इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.
Grow tasty & healthy Watermelon in your garden with best quality seeds of Watermelon "Arka Manik".
— National Seeds Corp. (@NSCLIMITED) February 2, 2025
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अर्का मानिक किस्म: ये तरबूज की खास किस्म है. इस किस्म की बुवाई करने पर किसान को औसत तरबूज का वजन 6 किलो तक मिल सकता है. इस किस्म के तरबूज की भंडारण और परिवहन क्षमता अच्छी मानी जाती है. यह किस्म चूर्णी आसिता, मृदुरोमिल आसिता और एन्थ्रेकनोज रोग के प्रतिरोधी है. इस किस्म की खेती से किसानों को औसतन 60 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन मिल सकता है. वहीं, ये किस्म बुवाई के 110 से 115 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है.
अगर आप भी तरबूज की खेती करना चाहते हैं तो इसके पौधे उपलब्ध हैं. आपको इसके 10 ग्राम का पैकेट फिलहाल 42 फीसदी की छूट के साथ मात्र 56 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से तरबूज की खेती कर सकते हैं.
तरबूज की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है. वहीं, खेती करने से पहले खेतों की तैयारी मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. खेतों में पानी कम या ज्यादा नहीं होना चाहिए. मिट्टी में गोबर की खाद को अच्छी तरह मिला दें. इसके अलावा अगर रेत की मात्रा अधिक है, तो ऊपरी सतह को हटाकर नीचे की मिट्टी में खाद मिलाना चाहिए. बता दें कि जलवायु और परिस्थितियों के अनुसार पहाड़ी, मैदानी और नदियों वाले क्षेत्र में तरबूज की खेती अलग-अलग महीने में की जाती है. जहां उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में तरबूज की बुवाई फरवरी और मार्च में की जाती है. इसके अलावा नदियों के किनारों पर बुवाई नवंबर में करनी चाहिए.
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