गेहूं की पैदावार घटा सकता है फरवरी का गर्म महीना, सरसों पर भी संकट के बादल!

गेहूं की पैदावार घटा सकता है फरवरी का गर्म महीना, सरसों पर भी संकट के बादल!

इस बार भी तापमान बढ़ने की आशंका है. फसलों में दाने बनने के दौरान अधिक तापमान के कारण लगातार चौथे साल पैदावार में कमी आ सकती है, जिससे कुल उत्पादन में कमी की आशंका जाहिर की जा रही है. ऐसी स्थिति में अधिकारियों को कमी की स्थिति से निपटने और आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए 40 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी को कम करने या हटाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

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गेहूं की पैदावार घटा सकता है फरवरी का गर्म महीना, सरसों पर भी संकट के बादल!गेहूं की खेती.

भारत में फरवरी के महीने में औसत से अधिक तापमान रह सकता है. देश के प्रमुख गेहूं और सरसों उत्पादक राज्यों में कुछ दिनों तक औसत से 5 डिग्री ऊपर अधिकतम तापमान जा सकता है जिससे कई फसलों पर खराब असर पड़ने की संभावना है. वेदर ब्यूरो से जुड़े दो सूत्रों ने 'रॉयटर्स' को जानकारी दी.

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश होने के नाते, भारत 2022 से लगातार तीन वर्षों तक खराब फसल पैदावार के बाद, महंगे आयात से बचने के लिए 2025 में बंपर फसल की उम्मीद कर रहा है.

दो साल पहले भी खराब हुई थी फसल

साल 2022 में फरवरी और मार्च में तापमान में अचानक हुई तेज वृद्धि के कारण फसल खराब हो गई, जिसके कारण दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उपभोक्ता देश भारत को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

इस बार भी तापमान बढ़ने की आशंका है. फसलों में दाने बनने के दौरान अधिक तापमान के कारण लगातार चौथे साल पैदावार में कमी आ सकती है, जिससे कुल उत्पादन में कमी की आशंका जाहिर की जा रही है. ऐसी स्थिति में अधिकारियों को कमी की स्थिति से निपटने और आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए 40 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी को कम करने या हटाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि फरवरी में उत्तरी, मध्य और पूर्वी राज्यों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है. अधिकारी ने मौसम विभाग की आधिकारिक घोषणा से पहले नाम न बताने की शर्त पर यह जानकारी दी. मौसम विभाग शुक्रवार को अपना पूर्वानुमान जारी कर सकता है.

5 डिग्री अधिक जा सकता है तापमान

अधिकारी ने 'रॉयटर्स' से कहा, कुछ राज्यों में फरवरी महीने के कुछ दिनों में अधिकतम तापमान औसत से 5 डिग्री ऊपर रह सकता है. भारत के उत्तर में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्य, और मध्य भारत में मध्य प्रदेश देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्र हैं. 

आईएमडी के एक अन्य अधिकारी ने कहा, "आधा फरवरी के बाद देश के उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भागों में दिन के तापमान में तेज वृद्धि देखी जा सकती है." सर्दियों में बोई जाने वाली फसलें जैसे कि गेहूं, सरसों और चना अक्टूबर से दिसंबर तक बोई जाती हैं और अच्छी पैदावार के लिए दाने बनने और पकने के स्टेज में ठंडे मौसम की जरूरत होती है.

इस बारे में जानकारी देते हुए मुंबई के ब्रोकरेज फर्म फिलीप कैपिटल इंडिया के वाइस प्रेसिंडेट, कॉमोडिटी रिसर्च अश्विनी बनसोद ने कहा कि अगर तापमान ज्यादा दिनों तक सामान्य से अधिक रहता है तो यह फसलों पर बुरा असर डाल सकता है क्योंकि इससे नमी की मात्रा घटेगी.

गर्मी बढ़ने से घटेगी पैदावार

गर्म और बेमौसम गर्म मौसम के कारण उत्पादन कम होता है और देश के भंडार में भारी कमी आती है. पैदावार की कमी पहले भी देखी जा चुकी है, तभी इस महीने की शुरुआत में गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड 33,250 रुपये ($384.05) प्रति मीट्रिक टन पर पहुंच गईं. 

मुंबई स्थित एक व्यापारी ने कहा कि सरसों की फसल में कोई भी गिरावट दुनिया के सबसे बड़े आयातक भारत को अपने खाद्य तेल आयात को बढ़ाने के लिए मजबूर कर सकती है.

 

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