फरवरी के महीने से ही जिस तरह तापमान बढ़ने लगा है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस साल गर्मी में तापमान काफी बढ़ने वाला है. बढ़ते तापमान का असर सिर्फ हम पर या जीव-जंतुओं पर ही नहीं पड़ता है बल्कि पेड़-पौधे भी इससे प्रभावित होते हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम गर्मी का मौसम आने से पहले ही अपने गार्डन को इसके लिए तैयार कर लें.
आज हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं जिन्हें फॉलो करके आप अपने बगीचे या टेरेस गार्डन को गर्मियों के लिए तैयार कर सकते हैं. ऐसा करके आप पौधों को गर्मी से प्रभावित होने से बचा सकते हैं क्योंकि बहुत बार ज्यागा गर्मी से पौधे झुलस जाते हैं और फिर पनपते नहीं हैं. इससे बचने के लिए जरूरी है कि पेड़-पौधों की पहले से ही देखभाल की जाए.
सबसे पहला कदम है कि आप जहां रह रहे हैं, वहां कैसा तापमान है, उसके हिसाब से आप अपनी प्लानिंग करें. भारत में एक ही समय में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तापमान हो सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ें. जहां बहुत ज्यादा तापमान रहता है वहां आपको कुछ एक्सट्रा केयर जैसे ग्रीन शेड आदि का इंतजाम करना होगा, पानी का खास ध्यान रखना होगा.
आप जहां रहते हैं वहां के लोकल पौधे लगाने पर फोकस करें. इससे आपको अलग से तापमान मेंटेन करने पर मेहनत नहीं करनी होगी. जैसे गर्मी में जो सब्जियां आपके इलाके में लगती हैं, अगर आप वहीं लगाएंगे तो ये अच्छे से ग्रो करेंगी. इसी तरह आपको फूल और फलों के पौधे लगाने चाहिए.
गर्मी के मौसम के लिए मिट्टी को बेहतर बनाना बहुत ज़रूरी है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपके पौधों को गर्मी में पनपने के लिए ज़रूरी पोषक तत्व मिले. साथ ही, गमलों में जल निकासी की व्यवस्था हो. गर्मियों की शुरुआत में, बगीचे की मिट्टी में बदलाव करें. जैविक खाद का इस्तेमाल करें क्योंकि इससे लंबे समय तक नमी रहती है और ज्यादा पोषण मिलता है.
गर्मी में तेज धूप होती है जो कई बार पौधों को झुलसा देती है. इससे बचने के लिए अपने गार्डन में ग्रीन नेट लगाएं ताकि तेज धूप सीधी पौधों पर न पड़े. इसके लिए आप घर की पुरानी चादरें भी इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, इन्हें लगाते समय ध्यान रखें कि पौधों से कवर को कुछ ऊंचाई पर लगाया जाए. साथ ही, दिन भर सूरज की बदलती स्थिति को ध्यान रखें और उसी के हिसाब से व्यवस्था करें.
मिट्टी की नमी बनाए रखने और खरपतवार को रोकने के लिए अपने पौधों के चारों ओर जैविक मल्च की एक मोटी परत - जैसे कि सूखे पत्ते, पुआल या नारियल की भूसी की एक लेयर बिछा दें. मल्चिंग मिट्टी के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करती है, जिससे पौधों की जड़ें ठंडी रहती हैं और सूरज की गर्मी से सुरक्षित रहती हैं. गर्मी के मौसम में जरूरत के हिसाब से मल्चिंग करें.
आपको घर में ही खाद बनाने पर जोर देना चाहिए. आप रसोई से निकलने वाले जैविक कचरे जैसे फल-सब्जियों के छिलकों से जैविक खाद बना सकते हैं. इन्हीं छिलकों को आप पानी में भिगोकर रखें और फिर इस पानी को छानकर पौधों को दें तो यह ठंडी खाद का काम करेगा. गर्मियों में पौधों को ठंडी खाद देने पर जोर दें.
अपने बगीचे की समय पर छंटाई करना बहुत मददगार हो सकता है. सूखी पत्तियों को हटा दें, और हवा के संचार को बेहतर बनाने और फंगल रोगों को रोकने के लिए शाखाओं को हल्का-हल्का काट दें. मुरझाए हुए फूलों को हटा दें और निराई-गुड़ाई भी करते रहें.
गर्मियों में पौधों की पानी की जरूरत का ख्याल रखना सबसे ज्यादा जरूरी है. गर्मी में एक नहीं दो-तीन बार पानी देने की जरूरत पड़ सकती है. आप अपने पौधों को सुबह पानी दें. अगर शाम तक मिट्टी फिर से सूख जाती है, तो आपको पता चल जाएगा कि आपके पौधों को दिन में दो बार पानी देने की ज़रूरत है. आपके पौधों का स्वास्थ्य इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप अपने पौधों को किस समय पानी देते हैं. अपने पौधों को या तो सुबह या सूर्यास्त के बाद पानी दें. हालांकि, अपने पौधों को जरूरत से ज़्यादा पानी देने से बचना ज़रूरी है.
जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, कीट ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं और हमारे बगीचे के लिए खतरा बन जाते हैं. नियमित रूप से पौधों की निगरानी करें और देखें कि कोई कीट तो नहीं लगा है. कीटों से छुटकारा पाने के लिए नीम का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं या लहसुन से बने स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं. लहसुन के कलियों को काटकर पानी में मिलाकर लहसुन का स्प्रे बनाना चाहिए. रात भर भिगोने के बाद मिश्रण को छान लें, फिर इसे अपने पौधों पर स्प्रे करें.
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