मूंगफली की फसल में सही समय पर सिंचाई और कटाई, उपज और तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए बहुत ही जरूरी है. फसल के दौरान पौधों की वृद्धि और फलियों के विकास पर ध्यान देना किसानों की सफलता की कुंजी है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) की तरफ से किसानों को कटाई से पहले कुछ खास बातों के बारे में बताया गया है.
मूंगफली की फसल में फलियां बनते समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है. अगर नमी कम हो, तो फलियों की वृद्धि प्रभावित हो सकती है. ऐसे में पौधों की वृद्धि की अवस्था के अनुसार समय-समय पर सिंचाई करना लाभदायक होता है.
मूंगफली के पौधों में फूल एक साथ नहीं आते. गुच्छेदार प्रजातियों में फूल करीब दो महीनों तक और फैलने वाली प्रजातियों में लगभग तीन महीनों तक आते रहते हैं. फलियों के पूर्ण विकास के लिए दोनों प्रकार की प्रजातियों में कम से कम दो माह का समय आवश्यक होता है.
फसल की खुदाई तभी करनी चाहिए जब अधिकतर फलियां पक जाएं. देर से कटाई करने पर उन प्रजातियों में जिनमें सुषुप्तावस्था नहीं होती, पौधे खेत में नमी मिलने पर पुनः अंकुरित हो सकते हैं. ऐसे मामलों में पौधों की पत्तियां गिर जाती हैं और पौधा सूख जाता है. किसानों को ध्यान देना चाहिए कि पौधे पीले पड़ जाएं, तभी फसल की कटाई करना सही होता है. सामान्य परिस्थितियों में, अगेती और पछेती प्रजातियों की कटाई क्रमशः 105 और 135 दिनों में हो जाती है.
फसल पकने के कुछ दिनों के अंतराल पर खेत से कुछ पौधे उखाड़कर, समय-समय पर फसल के पकने का निरीक्षण करना चाहिए. जब प्रति पौधे से अधिकतम संख्या में पूर्ण विकसित और परिपक्व फलियां प्राप्त हो जाएँ, तभी फसल की कटाई करनी चाहिए.
कटाई के बाद, फलियों को अच्छी तरह सुखाना आवश्यक है. सुखाने की प्रक्रिया तब तक जारी रखनी चाहिए जब तक फलियों में 9-10 प्रतिशत तक नमी न रह जाए. इससे फलियों की गुणवत्ता और तेल की मात्रा बनी रहती है.
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