धान की होगी बंपर पैदावार, रोपाई के 1 महीने बाद जरूर डालें ये पोषक खाद

धान की होगी बंपर पैदावार, रोपाई के 1 महीने बाद जरूर डालें ये पोषक खाद

किसानों को इस समय धान की अच्छी पैदावार के लिए प्रबंधन करना बेहद जरूरी होता है. दरअसल, धान की रोपाई के 30 दिनों के बाद टिलरिंग यानी कल्ले निकलने का समय आता है. यह फसल के जीवन चक्र का सबसे अहम चरण माना जाता है.

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धान की होगी बंपर पैदावार, रोपाई के 1 महीने बाद जरूर डालें ये पोषक खादधान की खेती

देश के लगभग सभी राज्यों में धान की रोपाई हो चुकी है. वहीं, धान की रोपाई किए लगभग एक महीने से अधिक समय बीत चुका है. लेकिन ये समय देखरेख के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. किसानों को इस समय धान की अच्छी पैदावार के लिए प्रबंधन करना बेहद जरूरी होता है. दरअसल, धान की रोपाई के 30 दिनों के बाद टिलरिंग यानी कल्ले निकलने का समय आता है. यह फसल के जीवन चक्र का सबसे अहम चरण माना जाता है. इस दौरान धान के पौधे अधिक ऊर्जा यानी पोषक तत्वों की मांग करते हैं. ऐसे में अगर आपको भी धान की अच्छी पैदावार चाहिए तो इस पोषक तत्व का इस्तेमाल जरूर करें.

अच्छी पैदावार के लिए डालें यूरिया

धान के टिलरिंग की प्रक्रिया में एक पौधे से कई पौधे बनने लगते हैं, यानी यह फसल की बढ़ोतरी का समय होता है. इस समय उचित पोषण की जरूरत पड़ती है. यदि इस समय उचित पोषण नहीं दिया गया, तो उत्पादन पर सीधा असर पड़ सकता है. वहीं, टीलरिंग के समय धान को नाइट्रोजन की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है. नाइट्रोजन पौधे की वृद्धि और कल्ले फूटने में मदद करता है. इसके लिए किसानों को यूरिया का छिड़काव करना जरूरी होता है. टीलरिंग के समय यूरिया डालने से पौधों में ज्यादा कल्ले फूटते हैं, जिससे फसल घने और मजबूत होते हैं. इससे उत्पादन बढ़ता है और किसानों को बेहतर उपज मिलती है.

किसान कितनी मात्रा में डालें यूरिया?

कृषि एक्सपर्ट के अनुसार, धान की एक एकड़ जमीन के लिए पूरे जीवन चक्र में लगभग ढाई से तीन किलो यूरिया प्रति कट्ठा या 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ इस्तेमाल करना चाहिए. इसमें टीलरिंग के समय 30 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव करना जरूरी होता है. यह छिड़काव पौधे की वृद्धि तय करता है और कल्ले की संख्या बढ़ाता है. ध्यान रखें कि यूरिया का सही मात्रा में और सही समय पर इस्तेमाल करना जरूरी है, क्योंकि ज्यादा या कम यूरिया फसल को नुकसान पहुंचा सकता है.

यूरिया डालने के क्या हैं फायदे?

सही समय पर पोषण देने से फसल में मजबूती आती है और धान के दाने भी अच्छे विकसित होते हैं. टीलरिंग के दौरान यूरिया डालने से न केवल कल्ले अधिक निकलते हैं, बल्कि पौधे में हरियाली बनी रहती है और रोगों का खतरा भी कम हो जाता है. यही वजह है कि धान की खेती में प्रबंधन और पोषण का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है.

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