मूंग में सही समय पर करें खरपतवार नियंत्रण, वरना 60 परसेंट तक घट सकती है उपज

मूंग में सही समय पर करें खरपतवार नियंत्रण, वरना 60 परसेंट तक घट सकती है उपज

वर्षा के मौसम में लगातार बारिश होने पर निराई-गुड़ाई का समय नहीं मिल पाता है. साथ ही साथ श्रमिक अधिक लगने से फसल की लागत बढ़ जाती है. इन परिस्थितियों में खरपतवार नियंत्रण के लिये रसायन का छिड़काव किया जा सकता है. खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के लिये हमेशा फ्लैट फेन नोजल का ही उपयोग करें.

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मूंग में सही समय पर करें खरपतवार नियंत्रण, वरना 60 परसेंट तक घट सकती है उपजमूंग के खेत में खरपतवार को कैसे करें नियंत्रित. (सांकेतिक फोटो)

भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर किसान धान-गेहूं की साथ-साथ दलहन की भी बड़े स्तर पर खेती करते हैं. इसमें भी मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर मूंग की खेती करते हैं. लेकिन कई बार खेत में अधिक खरपतवार हो जाने के चलते उपज प्रभावित होती है. ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की बात नहीं है. वे नीचे बताए गए तरीकों को अपना कर मूंग के खेत में खरपतवार को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं. 

कृषि वैज्ञानिकों की माने तो मूंग की फसल में अगर खरपतवार का नियंत्रण सही समय पर नहीं किया गया, तो इससे फसल की उपज 40 से 60 प्रतिशत तक प्रभावित हो सकती है. यानी उत्पादन में भी 40 से 60 फीसदी तक गिरावट आ सकती है. इसलिए किसानों को खेत में खरपतवार देखने पर तुरंत उसका उपचार शुरू कर देना चाहिए. ऐसे भी खरीफ मौसम में मूंग के खेत में सकरी पत्ती वाले खरपतवार सबसे अधिक पनपते हैं. इनमें से सवा, दूब घास, चैडी पत्ती वाले पत्थरचटा, कनकवा, महकुआ और सफेद मुर्ग शामिल हैं. ये खरपतवार मूंग की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं.

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खरपतवार को ऐसे करें नियंत्रित 

खास बात यह है कि ये खरपतवार मुंग की बुवाई करने के बाद शुरुआती 30 से 35 दिनों में खेतों में सबसे अधिक पनपते हैं. इसलिए वुवाई करने के बाद 15 से 20 दिनों के अंदर ही खेत में पहली निराई-गुड़ाई कर दें. इससे घसों को बढ़ने का मौका नहीं मिलता है. इसके बाद बुवाई के 35 से 40 दिन होने पर दूसरी बार खेत में निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. अगर आपने कतारों में मूंग की बुवाई की है, तो बोई गई फसल में 'व्हील ह' नामक यंत्र से भी निराई-गुड़ाई का काम कर सकते हैं.

बारिश होने पर क्या करें

वहीं, वर्षा के मौसम में लगातार बारिश होने पर निराई-गुड़ाई का समय नहीं मिल पाता है. साथ ही साथ श्रमिक अधिक लगने से फसल की लागत बढ़ जाती है. इन परिस्थितियों में खरपतवार नियंत्रण के लिये रसायन का छिड़काव  किया जा सकता है. खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के लिये हमेशा फ्लैट फेन नोजल का ही उपयोग करें. अगर किसान चाहें, तो मूंग के खेत में पेन्डिमिथिलीन (स्टाम्प एक्स्ट्रा) 700 ग्राम पानी मिलाकर बुवाई के तीसरे दिन तक खेत में छिड़काव कर सकते हैं. इससे घासकुल एवं कुछ चैडी पत्ती वाले खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है.

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बुवाई के 20 दिन बाद करें छिड़काव

इमेजेथापायर (परस्यूट) 100 ग्राम को बुवाई के 20 दिन बाद छिड़काव करें. इससे घासकुल, मोथाकुल एवं चैडी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रित रहते हैं. इसी तरह क्यूजालोफाप ईथाइल (टरगासुपर) 40-50 ग्राम का स्पे बुबाई के 15-20 दिन बाद करें. इससे घास कुल के खरपतवारों नहीं पनपते हैं.

 

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