भारत एक कृषि प्रधान देश है. 75 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. यहां पर किसान गेहूं, धान, मक्का, मसूर, चना और मटर सहित कई तरह की रबी और खरीफ फसलों की खेती करते हैं. इससे किसानों की अच्छी कमाई होती है. लेकिन कई बार नीलगाय फसलों को बर्बाद कर देती हैं. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे घर पर ही नीलगाय भगाने वाली दवाई बना सकते हैं.
दरअसल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में नीलगाय सबसे अधिक पाई जाती हैं. ये नीलगाय झुंड बनाकर खेतों में आती हैं और कुछ ही घंटों के अंदर पूरी फसल को चट कर जाती हैं. खास बात यह है कि ये खाने से ज्यादा पैरों से कूचलकर फसलों को बर्बाद करती हैं. ऐसे में किसानों को लागत निकालना मुश्किल हो जाता है. वहीं, जानकारों का कहना है कि जंगलों के कटने से नीलगाय मैदानी इलाकों की तरफ ज्यादा रूख कर रहे हैं. क्योंकि इन्हें खेतों में खाने के लिए फसल के रूप में चारे आसानी से मिल जाते हैं.
ये भी पढ़ें- UP Weather Update: यूपी के प्रयागराज समेत इन जिलों में बारिश का अलर्ट, जानें आज के मौसम का हाल
पशु एक्सपर्ट का कहना है कि नीलगाय पहाड़ी इलाकों में कम रहती हैं, क्योंकि उसे ऊंडाई पर चढ़ने में मुश्किव होती है. इसलिए वह मैदानी इलाकों में ही ज्यादा देखी जाती हैं. ऐसे भी सबसे ज्यादा खेती मैदानी इलाकों में ही की जाती है. इसलिए उन्हें पेट भरने के लिए आहार भी आसानी से मिल जाते हैं. इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में आज हम नीलगाय भगाने के आसान तरीकों के बारे में बात करेंगे. आप नीचे बताए गए तरीकों को अपनाकर खेत से नीलगाय को भगा सकते हैं.
ऐसे लोगों को लगता है कि नीलगाय भगाना बहुत मुश्किल काम है. इसके लिए बहुत अधिक खर्च करना पड़ेगा. मार्केट से महंगी रासायनिक दवाइयां खरीद कर लानी पड़ेंगी और खेत में छिड़काव करना पड़ेगा. लेकिन ऐसी बात नहीं है. आप अंडे से भी नीलगाय को भगा सकते हैं. इसके लिए 15 अंडे और 50 ग्राम वाशिंग पाउडर लेना होगा. इसके बाद अंडे को फोड़कर 25 लीटर पानी में मिला दें. फिर उस घोल में 50 ग्राम वाशिंग पाउडर भी मिला दें. फिर आप घोल में फसलों के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें- Success Story: 25 हजार की लागत में 6 लाख की कमाई, मौसमी सब्जियों की खेती ने युवा किसान की आमदनी बढ़ाई
कहा जाता है कि इस घोल की गंध से नीलगाय और आवारा मवेशी खेत के आसपास भी नहीं दिखाई देते हैं. जानकारों की माने तो अंडों से एक विशेष प्रकार की गंध निकलती है. इस गंध की वजह से नीलगाय खेत में नहीं आती है. किसान गर्मी और सर्दी के मौसम में इस घोल का छिड़काव कर सकते हैं. इससे फसलें सुरक्षित रहेंगी.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today