सर्दियों के मौसम में अमरूद का फल हर किसी का पसंदीदा बन जाता है. हर कोई धूप में बैठकर इसके स्वाद का आनंद लेना चाहता है. अमरूद एक ऐसा फल है जिसे ठंड के मौसम में लोग बड़े चाव से खाते हैं. यह मीठा और स्वादिष्ट दोनों होता है और कई स्वास्थ्य लाभ भी देता है. जिसके कारण सर्दियों में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है. ऐसे में अमरूद की खेती करने वाले किसानों के लिए यह फायदे का समय है. लेकिन ये उससे भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. अक्सर अमरूद के छोटे-छोटे फल गिरने लगते हैं. जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में आइए जानते हैं इससे बचाव का तरीका और दावा का नाम.
अमरूद के पेड़ से फलों का गिरना एक गंभीर समस्या है. यह अलग-अलग कारणों की वजह से होता है. इतना ही नहीं इस वजह से लगभग 45-65% नुकसान होता है. अमरूद के फलों का गिरना कम करने के लिए जीए का छिड़काव प्रभावी है. साथ ही कम मिट्टी की उर्वरता और कम पीएच वाले स्थानों पर भी अमरूद के पेड़ों से फल गिरने लगते हैं. इस बात का पता किसान प्रभावित पौधों की पत्तियों पर बैंगनी से लाल धब्बे बिखरे हुए दिखाई देते हैं. गंभीर परिस्थितियों में, पत्तियां पूरी तरह से गिर जाती हैं और फलों के छिलके भी भूरे रंग के दिखाई देने लगते हैं. साथ ही उपज भी कम हो जाती है.
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इससे बचाव के लिए दो महीने के लिए साप्ताहिक अंतराल पर 0.5% डायमोनियम फॉस्फेट और जिंक सल्फेट के संयोजन से पत्तियों पर लगाने से अमरूद के पेड़ों से फल गिरने की समस्या कम हो जाती है. वहीं दूसरी तरफ फूल आने से पहले 0.4% बोरिक एसिड और 0.3% जिंक सल्फेट का छिड़काव करने से उपज और फल का आकार बढ़ जाता है. कॉपर सल्फेट 0.2 से 0.4% का छिड़काव करने से भी अमरूद की वृद्धि और उपज में वृद्धि होती है.
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