भारत का बासमती चावल अपनी सुगंध और बेहतरीन गुणवत्ता के कारण दुनिया भर में मशहूर है. हाल के वर्षों में इसकी मांग में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2024-25 में भारत से 5000 करोड़ मूल्य का बासमती चावल निर्यात किया गया, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ हुआ और बासमती धान की खेती का रकबा भी बढ़ा. भारत लगभग 125 देशों में बासमती चावल का निर्यात करता है, जिसमें चीन, पाकिस्तान, अमेरिका और खाड़ी देश शामिल हैं. गैर-बासमती चावल की तुलना में बासमती चावल की खेती के प्रति किसानों का रुझान तेज़ी से बढ़ रहा है.
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ रितेश शर्मा के ने बताया कि वर्तमान में समय में अपने देश में बासमती धान की 33 प्रजातियां हैं. गुणवत्ता के आधार पर तरावडी बासमती टाइप 3 बासमती 370, रणवीर बासमती और पारंपरिक प्रजातियां हैं. इन प्रजातियों की उपज क्षमता तो कम है लेकिन उच्च गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में अधिक मूल्य मिलता है और इन प्रजातियों में खाद और पानी की आवश्यकता भी कम होती है.
इसके अलावा बासमती की पूसा बासमती 1121, हरियाणा बासमती 1, वल्लभ बासमती 22, वल्लभ बासमती-23, वत्सम बासमती-24, उन्नत पूसा बासमती-1, पूसा बासमती-6, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1609, पूसा बासमती 1637, पूसा बासमती-1718, पूसा बासमती-1728 पं 2, पंजाब बासमती 2, पंजाब बासमती 3, मालवीय बासमती 10-9, पंजाब बासमती 4, हरियाणा बासमती -2 और 5 विकसित की गई है. इनकी उपज अपेक्षाकृत अधिक है.
डॉ रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती धान की खेती में किसान बासमती धान का खेती में नर्सरी से लेकर कटाई तक कुछ जरूरी बातों पर किसान अगर ध्यान देता है तो बेहतर क्वालिटी की अच्छी पैदावार किसान ले सकते हैं. धान के लिए प्रजाति के अनुसार 25-30 किग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा पर्याप्त होती है.
डॉ रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती धान की नर्सरी बुवाई से पहले खेत को लेजर लेवलर द्वारा समतल अवश्य कराएं और संभव हो तो छोटी छोटी क्यारियां बना लें. बासमती के बीज सदैव प्रमाणित संस्था या अनुसंधान केंद्र से ही खरीदें. बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान, मोदीपुरम मेरठ भी उच्च गुणवत्ता युक्त बासमती बीज उपलब्ध कराता है. उन्होंने कहा कि नर्सरी में बीज बुवाई से पहले बीज का शुद्धीकरण अवश्य करें. इसके लिए एक टब या बाल्टी में 10 लीटर पानी का घोल बनाकर उसमें बीज को धीरे-धीरे छोड़ें. ऐसा करने से हल्के बीज सतह पर तैरने लगते हैं. इन बीजों को निकाल कर अलग कर देना चाहिए.
अच्छे बीजों को पानी में दो बार अवश्य धोएं. 20 ग्राम कार्बेंडाजिम और एक ग्राम स्ट्रप्टोसाइक्लीन और पानी की उचित मात्रा के घोल में 10 किलो बीज 24 घंटे के लिए छाया में रखें. इसके बाद जूट के बैग में अथवा ढेर बनाकर छायादार स्थान पर अंकुरित होने के लिए 24 घंटे के लिए छायादार स्थान पर रख दें और बीजों को को सड़ने से बचाने के लिए नमी अवश्य बनाए रखें. ऐसा करने से एक समान अंकुरण होता है.
एक किलोग्राम बीज को बोने के लिए कम से कम 25 वर्ग मीटर क्षेत्र अवश्य लेना चाहिए. नर्सरी की क्यारी अच्छी तरह से समतल होनी चाहिए. नर्सरी क्षेत्र की अंतिम पडलिंग से ठीक पहले नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक और आयरन की संतुलित मात्रा प्रयोग करना चाहिए. अंकुरित बीजों को शाम के समय एक सामान रूप से छिटक कर बोना चाहिए. बीज छिटकते समय नर्सरी में 2-3 सेंटीमीटर पानी भरा होना चाहिए. नर्सरी क्षेत्र में खरपतवार नही होने चाहिए और पानी का स्तर धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए. पौध को पानी भर कर ही उखाड़ना चाहिए. इस तरह बासमती धान का नर्सरी प्रबंधन करके अच्छी पैदावार ले सकते हैं.
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