Organic Fertilizer: घर पर सड़े हुए फूलों से बनाएं ऑर्गेनिक खाद, किचन गार्डन रहेगा हरा-भरा

Organic Fertilizer: घर पर सड़े हुए फूलों से बनाएं ऑर्गेनिक खाद, किचन गार्डन रहेगा हरा-भरा

सड़े हुए फूलों से बनी खाद पूरी तरह से ऑर्गेनिक होती है और पौधों को प्राकृतिक पोषण देती है. इसके अलावा इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाती है. साथ ही रासायनिक खाद की जरूरत कम हो जाती है. अगली बार जब आपके घर में फूल सड़ जाएं तो उन्हें फेंकने के बजाय खाद बनाने में इस्तेमाल करें. इससे आपकी बगिया हरी-भरी रहेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा. इसे बनाने का तरीका बेहद ही आसाना है. 

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Organic Fertilizer: घर पर सड़े हुए फूलों से बनाएं ऑर्गेनिक खाद, किचन गार्डन रहेगा हरा-भरा Organic Fertilizer: सड़े हुए फूलों से तैयार करें खास खाद

त्योहारों, पूजा-पाठ या सजावट के बाद अक्सर घर में ढेर सारे फूल बच जाते हैं. इनमें से अधिकांश फूल कुछ ही घंटों या दिनों में सड़ जाते हैं और कूड़े में फेंक दिए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सड़े हुए फूल आपकी रसोई और बगीचे के लिए बेहतरीन जैविक खाद या ऑर्गेनिक कंपोस्‍ट बन सकते हैं? इससे न केवल कचरा कम होगा, बल्कि पौधों की सेहत भी बेहतर होगी. आइए जानते हैं इसे बनाने का तरीका और इसके फायदे. 

कैसे बनाएं सड़े हुए फूलों खाद

अगली बार जब आपके घर में फूल सड़ जाएं तो उन्हें फेंकने के बजाय खाद बनाने में इस्तेमाल करें. इससे आपकी बगिया हरी-भरी रहेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा. इसे बनाने का तरीका बेहद ही आसाना है. 

  • सबसे पहले पूजा या सजावट में इस्तेमाल हुए फूलों को प्लास्टिक, धागा या बाकी सिंथेटिक चीजों से अलग कर लें. 
  • अब बड़े फूलों या माला को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें ताकि वे जल्दी गल सकें. 
  • सड़े हुए फूलों को किसी ड्रम, गड्ढे या कंपोस्ट बिन में डालें. 
  • फूलों के साथ-साथ सब्जियों के छिलके (हरा कचरा) और सूखे पत्ते या अखबार के टुकड़े मिलाएं. 
  • मिश्रण में थोड़ा पानी छिड़कें ताकि यह नम रहे लेकिन गीला न हो. 
  • हर 7–10 दिन में इसे हिलाएँ ताकि हवा अंदर तक पहुंचे और सड़न की प्रक्रिया तेज हो. 
  • करीब 2 से 3 महीने में सड़े हुए फूल पूरी तरह खाद में बदल जाएंगे. 

सड़े हुए फूलों की खाद के फायदे

सड़े हुए फूलों से बनी खाद पूरी तरह से ऑर्गेनिक होती है और पौधों को प्राकृतिक पोषण देती है. इसके अलावा इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाती है. साथ ही रासायनिक खाद की जरूरत कम हो जाती है. दूसरी ओर घरेलू कचरे को भी सही तरह से मैनेज किया जा सकता है. इस खाद के प्रयोग से आप पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने में भी अपना योगदान दे सकते हैं. 

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