लेमन ग्रास की डिमांड इन दिनों काफी तेजी से बढ़ती जा रही है. लेमन ग्रास को नींबू घास, चाइना घास और मालाबार घास के नाम से भी जाना जाता है. इसकी पत्तियों से नींबू की सुगंध आती है. यह कई औषधीय गुणों से भरपूर है. इसमें विटामिन और मिनरल भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसका उपयोग लोग चाय बनाने में करते है. वहीं इस पौधे से सिट्रल (Citral) नाम का तेल भी पाया जाता है. इस घास प्रयोग औषधीय चीजों के अलावा इत्र, साबुन और अनेक प्रकार के ब्यूटी प्रोडक्ट में भी किया जाता है. वहीं इसकी खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. क्योंकि इसकी खेती सुखा ग्रस्त इलाकों में भी आसानी से किया जा सकता है. आइये जानते हैं इस घास के फायदे.
लेमन ग्रास की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. लेकिन, पौधे के बेहतर विकास के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी अच्छी होती है. इसकी खेती जलभराव वाले इलाकों में नहीं करना करना चाहिए. इसकी खेती कम वर्षा वाले इलाके में भी आसानी से की जा सकती है. वहीं इसकी खेती के लिए सामान्य जलवायु अनुकूल होता है. क्योंकि इसके पौधे को अधिक धूप की जरूरत होती है. इससे पौधों में तेल की मात्रा बढ़ती है. इसके लिए बेहतर तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तक का होती है.
लेमन ग्रास की खेती मुख्य रूप से केरल, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, असम, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल में की जाती है. वहीं अब इसकी खेती बिहार के कुछ इलाकों में भी की जाने लगी है.
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लेमन ग्रास की खेती करने से पहले खेत की दो तीन बार अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए. जुताई के बाद खेत में पुराना गोबर या खाद डालना चाहिए. उसके बाद पौधों को लगाना चाहिए. लेमन ग्रास के खेती का उपयुक्त समय जुलाई का महीना होता है. वहीं अगर मुनाफे की बात करें तो लेमन ग्रास की तेल की कीमत बाजारों में 1100 से 1200 रुपये किलो होती है. इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है.
लेमन ग्रास को कई बीमारियों से बचा जा सकता है. इस घास में एंटीऑक्सीडेंट, सोडियम, आयरन और पोटैशियम पाया जाता है. लेमन ग्रास काफी बीमारियों के लिए फायदेमंद है जैसे, सिरदर्द, माइग्रेन, गंजापन, खांसी-जुकाम, पेट संबंधी समस्याओं में लाभकारी होता है.
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