
हरी मटर सर्दियों की सबसे पसंदीदा सब्जियों में से एक है. इसका स्वाद जितना बढ़िया होता है, उतनी ही इसकी पौष्टिकता भी होती है. अच्छी बात यह है कि हरी मटर को आप अपने घर के बगीचे, छत या बालकनी में भी आसानी से उगा सकते हैं. थोड़ी सी देखभाल और सही तरीके अपनाकर आप ताजी और केमिकल-फ्री हरी मटर की फसल ले सकते हैं.घर में उगाई गई हरी मटर ताजी, स्वादिष्ट और केमिकल-फ्री होती है. इससे न सिर्फ पैसे की बचत होती है, बल्कि परिवार को पौष्टिक सब्जी भी मिलती है. थोड़ी सी मेहनत से आपकी बालकनी भी हरी-भरी दिखेगी.
हरी मटर ठंडी जलवायु की फसल है. इसे बोने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर के बीच माना जाता है. इस दौरान तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो मटर के अंकुरण और बढ़वार के लिए उपयुक्त होता है. ज्यादा गर्मी में मटर की बेल कमजोर हो जाती है. बालकनी या छत में मटर उगाने के लिए 12 से 14 इंच गहरा और चौड़ा गमला या ग्रो बैग सही रहता है. गमले के नीचे पानी निकासी के लिए छेद होना जरूरी है. एक गमले में 6 से 8 बीज आसानी से लगाए जा सकते हैं.
हरी मटर के लिए भुरभुरी और उपजाऊ मिट्टी जरूरी होती है. इसके लिए 50 प्रतिशत सामान्य बगीचे की मिट्टी, 30 प्रतिशत अच्छी सड़ी गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट, 20 प्रतिशत बालू या कोकोपीट ले लें. इन तीनों को अच्छी तरह मिलाकर गमले में भरें. इससे मिट्टी में हवा का संचार अच्छा रहेगा और जड़ें मजबूत होंगी. बीज बोने से पहले मटर के बीजों को 8 से 10 घंटे पानी में भिगो देना चाहिए. इससे अंकुरण जल्दी होता है. इसके बाद बीजों को 1 से 2 इंच गहराई पर बो दें और ऊपर से हल्की मिट्टी डाल दें. बीजों के बीच 2 से 3 इंच की दूरी रखें.
बीज बोने के तुरंत बाद हल्का पानी दें. ध्यान रखें कि गमले में पानी जमा न हो. मटर को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. हफ्ते में 2 से 3 बार हल्की सिंचाई पर्याप्त होती है. ठंड के मौसम में नमी बनी रहना जरूरी है. हरी मटर बेल वाली फसल है. जैसे ही पौधा 6 से 8 इंच का हो जाए, उसे सहारे की जरूरत पड़ती है. इसके लिए आप बांस, लकड़ी की स्टिक या जाली का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे बेल ऊपर चढ़ेगी और फलियां अच्छी बनेंगी. मटर के पौधे को रोजाना कम से कम 4 से 5 घंटे धूप मिलनी चाहिए. बालकनी या छत पर ऐसी जगह चुनें जहां अच्छी रोशनी आती हो. बहुत ज्यादा छाया में पौधा कमजोर हो जाता है.
पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए 15 से 20 दिन के अंतराल पर वर्मी कम्पोस्ट या सरसों खली का घोल डाल सकते हैं. फूल आने के समय हल्की खाद देने से फलियों की संख्या बढ़ती है. घरेलू बगीचे में मटर आमतौर पर ज्यादा रोगग्रस्त नहीं होती. फिर भी एफिड्स या इल्ली दिखें तो नीम तेल का छिड़काव हफ्ते में एक बार करें. इससे पौधा सुरक्षित रहता है. बीज बोने के करीब 60 से 70 दिन बाद मटर की फलियां तैयार हो जाती हैं. जब फलियां हरी, भरी हुई और नरम हों, तभी तोड़ लें. समय पर तुड़ाई करने से पौधा ज्यादा फल देता है.
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