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गेहूं में कितनी बार करनी पड़ती है सिंचाई, कब-कब होता है पानी देने का सही समय

गेहूं में कितनी बार करनी पड़ती है सिंचाई, कब-कब होता है पानी देने का सही समय

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में गेहूं की कम पैदावार के अनेक कारण हैं. इनमें से प्रमुख कारण सिंचाई का न होना या सही समय पर बेहतर ढंग से सिंचाई न करना है. गेहूं में जल प्रबंधन एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है.कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की फसल के लिए सामान्य तौर पर 4-6 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है. रेतीली भूमि में 6-8 तथा भारी दोमट जमीन में 3-4 सिंचाइयां पर्याप्त होती हैं.

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रबी सीजन की फसल गेहूं की बुवाई देश भर में लगभग पूरी हो चुकी है. अब ज्यादातर जगहों पर फसल सिंचाई की अवस्था में आ गई है. अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई बहुत जरूरी है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में गेहूं की कम पैदावार के अनेक कारण हैं. इनमें से प्रमुख कारण सिंचाई का न होना या सही समय पर बेहतर ढंग से सिंचाई न करना है. गेहूं में जल प्रबंधन एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. गेहूं की सिंचाई कब की जाए, यह मिट्टी में नमी की मात्रा, पौधों की जल की मांग तथा मौसम पर निर्भर करता है. गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए लगभग 40 सेमी जल की आवश्यकता होती है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की फसल के लिए सामान्य तौर पर 4-6 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है. रेतीली भूमि में 6-8 तथा भारी दोमट जमीन में 3-4 सिंचाइयां पर्याप्त होती हैं. रेतीली मिट्टी में सिंचाई हल्की (लगभग 5-6 सेमी जल) और दोमट व भारी मिट्टी में सिंचाई ज्यादा (6-7 सेमी) करनी चाहिए. तब जाकर गेहूं की फसल में अच्छा उत्पादन होगा. 

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कितने दिन पर होती है सिंचाई

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई के समय का ध्यान रखें. यदि तीन सिंचाइयों की सुविधा ही उपलब्ध हो तो ताजमूल अवस्था (20-25 दिनों), गांठ बनने की अवस्था (65-70 दिनों) और दुग्धावस्था (105-110 दिनों) पर अवश्य करनी चाहिए. दो सिंचाइयां ही उपलब्ध रहें, तो ताजमूल अवस्था तथा पुष्पावस्था (90-95 दिनों) पर करें. अगर एक ही सिंचाई उपलब्ध हो तो ताजमूल अवस्था यानी कि बुवाई के 20 से 25 दिन पर पानी दें. 

कैसे करें सिंचाई

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की फसल में पारंपरिक रूप से चली आ रही सतही क्यारी विधि के स्थान पर सिंचाई की नवीनतम विधियों का इस्तेमाल करें. जैसे बूंद-बूंद सिंचाई और फव्वारा सिंचाई को अपनाकर जल उपयोग दक्षता को बढ़ाएं और अधिक उपज प्राप्त करें. गेहूं में चौड़ी मेड़ एवं कुंड़ सिंचाई के जल में बचत करके जल उपयोग दक्षता को बढ़ाया जा सकता है. कई राज्यों में पानी का संकट है इसलिए किसान सिंचाई के पारंपरिक तौर तरीकों को छोड़कर नई तकनीक का इस्तेमाल करें.

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