टमाटर की फसल भारत में एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक सब्जी वाली फसल है. टमाटर की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतरीन जरिया है. किसान इसकी खेती करके अच्छी कमाई करते हैं. टमाटर एक गर्म मौसम की फसल है जिसके लिए गर्म और ठंडे मौसम दोनों की जरूरत होती है. टमाटर में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज सभी मौजूद होते हैं. यह सबसे अनुकूल सब्जियों में से एक है, जिसका भारतीय व्यंजनों में काफी उपयोग किया जाता है. टमाटर का उपयोग सूप, सलाद, अचार, केचप, प्यूरी, सॉस और कई अन्य व्यंजनों में किया जाता है.
यह सलाद सब्जी के रूप में भी लोकप्रिय है. इसके बावजूद इस फसल को सबसे अधिक नुकसान अलग-अलग कीटों से होता है. इनमें फुदका, माहु और सफेद मक्खी टमाटर के बड़े दुश्मन हैं. बचाव के लिए इन खादों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
टमाटर के पौधों में हरापन ज्यादा होने पर सफ़ेद मक्खी प्रभाव ज्यादा दिखाई देता है. सफ़ेद मक्खी टमाटर की पत्तियों का रस चूसती हैं, जिसके कारण पत्तिया पिली दिखाई देती हैं. वहीं फुदका के प्रभाव से पत्तिया ऊपर की और मुड़ने लगती हैं और नाव के आकर की दिखाई देती हैं. सफ़ेद मक्खी के कारण टमाटर की फसल में वायरस का प्रभाव दिखाई देता है. माहु भी टमाटर की फसल के लिए खतरनाक रोग है. इसके फसलों में लगने से फसल पूरी ख़राब हो जाती है.
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अरेवा एक दानेदार घुलनशील कीटनाशक है. ये कीटनाशक अन्य कीटनाशकों की तुलना में कीटों के खिलाफ लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है. वहीं यह अन्य कीटनाशकों की तुलना में पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक है. इसके इस्तेमाल से टमाटर में लगने वाली सफेद मक्खी से छुटकारा मिलता है. इस कीटनाशक के छिड़काव से टमाटर को कीटों को खाने और चूसने से बचाया जाता है.
टमाटर की फसल में फुदका और माहु एक प्रमुख कीट है. यह टमाटर के फलों को नुकसान पहुंचाता है. इसके नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों का नियमित रूप से पालन करना चाहिए इसके लिए किसानों को अपनी टमाटर की फसल को बचाने के लिए इसोगाशी कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. इसके लिए किसानों को इसोगाशी का 60-70 मिली ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं और उसे अपनी टमाटर की फसलों पर छिड़काव करें.
टमाटर की फसल को फुदका, माहु और सफेद मक्खी जैसे अलग-अलग रोगों से छुटकारा पाने के लिए किसान अपनी टमाटर की फसलों पर तायो कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं. इसके लिए किसान 80 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें. इससे आपकी फसलों को नुकसान नहीं होगा.
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