हरियाणा में कई जिलों के किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ेंगे, टिश्यू कल्चर तकनीक की ट्रेनिंग भी मिलेगी 

हरियाणा में कई जिलों के किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ेंगे, टिश्यू कल्चर तकनीक की ट्रेनिंग भी मिलेगी 

राज्य के कृषि मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है. खेती में अत्याधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक दवाओं के प्रयोग करने से जमीन खराब होती जा रही है. उन्होंने कहा कि किसान को परम्परागत तरीके से कृषि करने व रसायनों के सिफारिश के अनुसार उपयोग करने की जरूरत है.

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हरियाणा में कई जिलों के किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ेंगे, टिश्यू कल्चर तकनीक की ट्रेनिंग भी मिलेगी HAU में कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन करते कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा.

खतरनाक रासायनिक उत्पादों के इस्तेमाल से खेतों में मिट्टी की उर्वरा शक्ति तेजी से घट रही है. इसका असर उत्पादन में गिरावट के रूप में दिखने लगा है. किसानों को नुकसान से बचाने के लिए हरियाणा में कई जिलों के किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा रहा है. जबकि. उपज बढ़ाने के लिए टिश्यू कल्चर तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है. इसके साथ ही खेती की टिकाऊ विधियों को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. आधुनिक तरीके से खेती कर किसान अपनी उपज के साथ ही आमदनी भी बढ़ा सकते हैं. यह बातें हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने किसान दिवस के मौके पर कहीं. 

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर किसान दिवस मनाया गया. यहां पर कार्यक्रम में हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि अब प्रदेश सरकार किसानों की 24 फसलों को शत-प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदेगी. एमएसपी पर खरीद की किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को हरियाणा सरकार ने पूरा कर दिया है.

कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ हमें मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए खेत को भी आत्मनिर्भर बनाना होगा, जोकि खेत में पराली प्रबधंन, फसल अवशेषों को उसी खेत में समाहित करने और अन्य जैविक प्रबधंन करने से संभव होगा. उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों में कृषि विज्ञान केंद्रों के जरिए किसानों को स्वस्थ पौध, बीज व फलदार पौधें उपलब्ध करवाने पर भी जोर दिया. 

प्राकृतिक खेती से जुड़ रहे किसान 

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है. खेती में अत्याधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक दवाओं के प्रयोग करने से जमीन खराब होती जा रही है. उन्होंने कहा कि किसान को परम्परागत तरीके से कृषि करने व रसायनों के सिफारिश के अनुसार उपयोग करने की जरूरत है. किसानों को कृषि में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ानी चाहिए. इसके लिए परंपरागत फसलों के साथ-साथ पशु पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन को भी प्राथमिकता देनी चाहिए. 

प्राकृतिक संसाधनों दोहन से बचना होगा

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने कहा कि जल, जमीन व पर्यावरण भावी पीढ़ी की धरोहर है और उन्हें बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है. हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को सही तरीके से उपभोग करना होगा और अत्याधिक दोहन से बचना चाहिए. कृषि में विविधिकरण को अपनाएं और उपज की क्वालिटी बढ़ाएं ताकि विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा का मुकाबला किया जा सके. 

विश्वविद्यालय देगा आधुनिक खेती की ट्रेनिग

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को कृषि से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण देने के साथ-साथ संबंधित सामग्री भी उपलब्ध करवाई जा रही है, ताकि वे स्वरोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बन सकें. विश्वविद्यालय मछली पालन, मशरूम की खेती और टीश्यू कल्चर तकनीक समेत कई तरह की आधुनिक तकनीक की ट्रेनिंग युवाओं और किसानों को दे रहा है. 

टीश्यू कल्चर तकनीक बढ़ाएगी उपज

टीश्यू कल्चर तकनीक सिखाने पर खास फोकस है, क्योंकि इस तकनीक के जरिए गन्ने, केले समेत अन्य फसलों की रोगरहित पौध विकसित की जा सकती है. टिशू कल्चर तकनीक में बढ़ते हुए पौधे के उपरी हिस्सों के टिश्यू को ऊपर से काट लिया जाता है. इसके बाद टिश्यू को प्लांट हार्मोन और पोषक तत्व से मिलकर बनाई गई जैली में रखते हैं. ऐसा करने से पौधों की जड़ों का विकास होता है. टिश्यू कल्चर तकनीक के तहत जब पौधे से पत्ते निकलने लगते हैं तब रोपाई शुरू की जाती है. उन्होंने कहा कि जल संसाधनों का बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय और उन्नत तकनीकों को अपनाकर पानी का उचित प्रबन्ध करने की बेहद जरूरत है. 

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