Mango Trees: अब पुराने बागों को काटने की जरूरत नहीं, दिसंबर की इस तनकीक से दोगुनी होगी पैदावार

Mango Trees: अब पुराने बागों को काटने की जरूरत नहीं, दिसंबर की इस तनकीक से दोगुनी होगी पैदावार

अक्सर आम के बाग पुराने होने पर फल देना कम कर देते हैं, जिससे किसानों की कमाई घट जाती है. इसको काट देते हैं, लेकिन अब पुराने पेड़ों को काटने के बजाय जीर्णोद्धार तकनीक अपनाकर उन्हें फिर से जवान बनाया जा सकता है. इस विधि में पेड़ों की सूखी और घनी टहनियों की वैज्ञानिक तरीके से छंटाई की जाती है, जिससे सूरज की रोशनी सीधे तने तक पहुंचती है और नई शाखाएं निकलती हैं.

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अब पुराने बागों को काटने की जरूरत नहीं, दिसंबर की इस तनकीक से दोगुनी होगी पैदावारइस मौसम में आम के बागों का ध्यान रखना जरूरी

अक्सर देखा जाता है कि जब आम के बाग 40 साल से अधिक पुराने हो जाते हैं, तो उनमें फल आना कम हो जाता है या पूरी तरह बंद हो जाता है, जिससे किसानों की कमाई घट जाती है क्योंकि आम पेड़ों के अंदरूनी हिस्सों तक धूप और ताजी हवा नहीं पहुंच पाती. धूप की कमी से प्रकाश-संश्लेषण क्रिया धीमी हो जाती है और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है. ऐसे में किसान अक्सर निराश होकर पेड़ों को काट देते हैं, लेकिन अब पुराने पेड़ों को काटने के बजाय 'जीर्णोद्धार तकनीक' अपनाकर उन्हें फिर से जवान बनाया जा सकता है.

इस विधि में पेड़ों की सूखी और घनी टहनियों की वैज्ञानिक तरीके से छंटाई की जाती है, जिससे सूरज की रोशनी सीधे तने तक पहुंचती है और नई शाखाएं निकलती हैं. इस तकनीक से न केवल फलों का आकार और गुणवत्ता सुधरती है, बल्कि पैदावार भी दोगुनी हो जाती है. यह बेकार हो चुके बागों को फिर से 'मुनाफे की मशीन' बनाने का सबसे आसान तरीका है. लेकिन सीआईएसएच लखनऊ की तकनीक 'आम जीर्णोद्धार' मदद से इन बूढ़े और अनुत्पादक पेड़ों को फिर से जवान और फलदायी बनाया जा सकता है. 

बूढ़े आम के पेड़ों में फिर आएगी जवानी

आम के पेड़ों के कायाकल्प के लिए सबसे उपयुक्त समय 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच का होता है. इस प्रक्रिया में पेड़ की मुख्य शाखाओं की छंटाई की जाती है. सबसे पहले पेड़ की 3-4 मजबूत और बाहर की तरफ निकलने वाली मुख्य शाखाओं को चुन लें और उन्हें आधार से लगभग 2 फीट छोड़कर बाकी हिस्सा काट दें. बाकी की सभी जरूरी और घनी शाखाओं को पूरी तरह हटा देना चाहिए. पेड़ की कुल ऊंचाई जमीन से लगभग 3 से 4 मीटर तक ही सीमित रखें. शाखाओं को काटते समय ध्यान रखें कि पहले नीचे की तरफ एक छोटा चीरा लगाएं और फिर ऊपर से काटें, ताकि डाली टूटते समय मुख्य तने की छाल न उखड़े.

कायाकल्प तकनीक से फिर लदेंगे आम!

शाखाओं की कटाई के बाद खुले हुए हिस्सों पर संक्रमण का खतरा रहता है. इससे बचाव के लिए कटे हुए सिरों पर दवा का लेप लगाना अनिवार्य है. आप 1 किलो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और 250 ग्राम अरंडी के तेल का गाढ़ा घोल बना सकते हैं. यदि आप जैविक विकल्प चुनना चाहते हैं, तो ताजा गाय का गोबर और पीली मिट्टी का पेस्ट भी बेहद कारगर होता है. यह लेप फंगल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन को रोकता है.

इसके बाद मार्च-अप्रैल में जब नई कोपलें निकलने लगें, तो उनका 'विरलीकरण' यानी थिनिंग करें. केवल स्वस्थ और सही दिशा में बढ़ने वाली टहनियों को ही रखें और आपस में टकराने वाली कमजोर टहनियों को हटा दें.

सूखते बागों में आएगी जान 

आम की कटाई के बाद पेड़ों को नई ऊर्जा और विकास के लिए भारी मात्रा में पोषण की आवश्यकता होती है. फरवरी के महीने में प्रत्येक पेड़ की जड़ के पास 120 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद, 3 किलो यूरिया, 1.5 किलो फॉस्फोरस और 1.5 किलो पोटाश डालें.

इसके साथ ही नीम की खली डालना भी मिट्टी की उर्वरता और कीटों से सुरक्षा के लिए अच्छा रहता है. खाद डालने के बाद हर 15 दिनों के अंतराल पर नियमित सिंचाई करें. नई पत्तियों को कीटों जैसे लीफ माइनर या चेपा से बचाने के लिए उचित कीटनाशक का छिड़काव भी समय-समय पर करते रहें.

पुराने पेड़ों से पाएं नए जैसा मुनाफा

जीर्णोद्धार की प्रक्रिया का एक बड़ा लाभ यह है कि भारी छंटाई के बाद बाग के बीच की जमीन पूरी तरह खुल जाती है और वहां पर्याप्त धूप पहुंचती है. जब तक आम के पेड़ दोबारा पूरी तरह फल देने के लिए तैयार होते हैं (लगभग 2-3 साल), तब तक किसान पेड़ों के बीच की खाली जगह में सब्जियां, दलहन या औषधीय पौधे उगाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं. इसे 'इंटरक्रॉपिंग' कहते हैं, जिससे बाग की देखरेख का खर्च आसानी से निकल आता है और किसान को साल भर मुनाफा मिलता रहता है.

सरकार भी देगी साथ और सब्सिडी

इस आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी किसानों की मदद कर रही है. पुराने बागों के जीर्णोद्धार के लिए उद्यान विभाग द्वारा सब्सिडी दी जाती है. इसकी विस्तृत जानकारी और सहायता के लिए किसान अपने जिले के उद्यान विभाग कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. इस तकनीक को अपनाने के बाद, जो पेड़ बेकार हो चुके थे, वे औसतन 50 से 60 किलो प्रति पेड़ तक फल देने लगते हैं. इस प्रकार, थोड़े से धैर्य और वैज्ञानिक प्रबंधन के साथ आप अपने पुराने बाग को फिर से एक लाभदायक व्यवसाय में बदल सकते हैं.

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