Exclusive: गोमूत्र फायदेमंद है या हानिकारक? पढ़िए, 'किसान तक' की पूरी छानबीन

Exclusive: गोमूत्र फायदेमंद है या हानिकारक? पढ़िए, 'किसान तक' की पूरी छानबीन

IVRI के डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि बाजार में जो गोमूत्र आ रहे हैं, क्या कभी उसका बायोलॉजिकल टेस्ट हुआ है कि मूत्र स्वस्थ गाय का है या अस्वस्थ गाय का. सामान्य तौर पर यही कहना चाहिए कि जब 41 में से 36 गायों के मूत्र में बैक्टीरिया मिले हैं तो गोमूत्र को बिना टेस्ट कराए, बिना शोधित कराए बिल्कुल न पिया जाए.

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Exclusive: गोमूत्र फायदेमंद है या हानिकारक? पढ़िए, 'किसान तक' की पूरी छानबीनगोमूत्र फायदेमंद है या हानिकारक, इसे लेकर एक नई रिपोर्ट आई है

क्या गोमूत्र पीने वालों के लिए खतरे की घंटी है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि एक नामी संस्था ने गोमूत्र को हानिकारक बताया है. ये भी बताया है कि गोमूत्र में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं जो इंसानी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. एक रिसर्च के बाद इस तरह का दावा किया गया है. यह रिसर्च बरेली स्थित प्रमुख पशु अनुसंधान संस्थान आईवीआरआई ने किया है. इस संस्थान के शोध में बताया गया है कि गाय के ताजा मूत्र में खतरनाक बैक्टीरिया होते हैं जिससे इंसानी स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है. इसमें एक बैक्टीरिया ई. कोलाई भी है जो इंसानों के पाचन तंत्र को प्रभावित करता है.

बहरहाल, इस पूरे मामले पर 'किसान तक' ने आईवीआरआई के एक्सपर्ट से बात की जिन्होंने इस शोध में प्रमुख भूमिका निभाई है. इस मुद्दे पर आईसीएआर-आईवीआरआई, बरेली के डॉ. भोजराज सिंह कहते हैं, हमने रिसर्च में ये कभी नहीं कहा कि गोमूत्र हानिकारक है या फायदेमंद है. हमने रिसर्च में ये कहा है कि अगर आप ऐसी गायों का मूत्र पीते हैं जो बीमार हैं, तो आप पर उसका असर पड़ सकता है. हमने ये कहा कि अगर आपकी इम्युनिटी कमजोर है और आप बीमार गाय का मूत्र पीते हैं, तो आपको भी बीमार होने का खतरा पैदा हो सकता है. डॉ. भोजराज ने साफ किया कि बीमार गायों से किसी व्यक्ति को रोग लगा या नहीं, इस बारे में अभी तक कोई स्टडी नहीं है.

गोमूत्र पर शोध करने वाले डॉ. भोजराज सिंह कहते हैं, हमने अपनी शोध में तीन तरह की गायों पर शोध किया. इन तीन नस्लों में दो देसी नस्ल थीं. इसमें दो नस्ल साहीवाल और थारपकर की ली गई. ये नस्लें बेरली में बहुतायत में पाई जाती हैं. तीसरी नस्ल सिंथेटिक ली गई जिसे आईवीआरआई ने ही तैयार की है. इसी शोध में मुर्रा भैंस के गोमूत्र का भी सैंपल लिया गया. फिर इस पर रिसर्च की. उससे पहले चरक संहिता में दी गई जानकारी को भी रिसर्च का आधार बनाया.

भारत में गोमूत्र का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है. यहां तक कि आयुर्वेद में भी गोमूत्र को लाभदायक बताया गया है. ऐसे में आईवीआरआई का शोध इससे अलग अपनी बात किस आधार पर रख रहा है? इसके जवाब में डॉ. भोजराज सिंह कहते हैं, विशेषज्ञों ने बताया कि गोमूत्र में कई तरह के तत्व होते हैं, लेकिन क्या कभी इस बात पर शोध हुआ कि भैंसों के मूत्र में ये तत्व होते हैं या नहीं. मैं ये मानता हूं कि स्वस्थ गायों के मूत्र में हानिकारक बैक्टीरिया नहीं होते. हमारी स्टडी में भी पांच गायें ऐसी मिलीं जिनके मूत्र में कोई बैक्टीरिया नहीं मिला. डॉ. भोजराज सिंह ने कहा, केवल स्वस्थ गायों का ही मूत्र लिया जाना चाहिए. हमारी स्टडी में ये कहीं नहीं लिखा गया कि गोमूत्र से कौन सी बीमारी होती है या कौन सी बीमारी ठीक होती है.

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डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि 41 में से 36 गायों के मूत्र में हानिकारक बैक्टीरिया पाए गए. किसी व्यक्ति को कैसे पता चलेगा कि इस गाय के मूत्र में हानिकारक बैक्टीरिया नहीं है, जब तक आप उसका टेस्ट न करा लें. इसलिए पीने से पहले यह बात सोचना चाहिए कि मूत्र स्वस्थ गाय का है या नहीं. 

इसी मुद्दे पर आईआईटी बॉम्बे से पीएचडी करने वाले और कई तरह के शोध कर चुके डॉ. राकेश अग्रवाल कहते हैं, यह सामान्य ज्ञान की बात है कि 60 डिग्री पर पाश्चुराइजेशन हो जाता है और अर्क 100 डिग्री पर आता है. ऐसे में गोमूत्र में जितने भी बैक्टीरिया हैं, वे मर जाते हैं. डॉ. राकेश अग्रवाल गोमूत्र जैसे प्रोडक्ट भी बनाते हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने जो प्रोसेस विकसित किया है, उसमें पीएच ऐसा रखा है कि सभी बैक्टीरिया मर जाते हैं. इस बारे में डॉ. पल्लवी शर्मा का दो-दो अंतरराष्ट्रीय पेपर भी पब्लिश हो चुका है. डॉ. शर्मा ने कहा कि गोमूत्र का प्रभाव सिप्रोफ्लोक्सासिन से भी ज्यादा है.

इससे अलग विचार रखते हुए डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि 60 डिग्री पर सारे बैक्टीरिया नहीं मरते. अगर ई. कोलाई जैसे बैक्टीरिया हैं तो वो मर जाते हैं. लेकिन बैसिलस ग्रुप के बैक्टीरिया नहीं मरते. यह कहना गलत है कि पाश्चुराइजेशन से सारे बैक्टीरिया मर जाते हैं. हम ये कतई नहीं कह रहे कि गोमूत्र फायदेमंद है क्योंकि हमने जो गाय ली थी वो सभी स्वस्थ थीं. उसमें कोई गाय बीमार नहीं थी. 41 में से 36 गायों के गोमूत्र में गंभीर बीमारी मिलना इस बात का संकेत है कि अगर वे इंसान के शरीर में जाते हैं, तो गंभीर बीमारी कर सकते हैं. इसमें कोई दोराय नहीं है. मेरा यही कहना है कि अगर गोमूत्र को शोधित नहीं किया गया है तो उसे किसी भी हालत में नहीं लेना चाहिए. 

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डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि बाजार में जो गोमूत्र आ रहे हैं, क्या कभी उसका बायोलॉजिकल टेस्ट हुआ है कि मूत्र स्वस्थ गाय का है या अस्वस्थ गाय का. सामान्य तौर पर यही कहना चाहिए कि जब 41 में से 36 गायों के मूत्र में बैक्टीरिया मिले हैं तो गोमूत्र को बिना टेस्ट कराए, बिना शोधित कराए बिल्कुल न पिया जाए.

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