भारत में जल्द ही सर्दी का मौसम आने वाला है. ऐसे में आंवला का नाम जुबां पर आना लाज़मी है. सर्दियों में आंवला की लौंजी, अचार, मुरब्बा आदि चीजें लोग बनाकर खाना पसंद करते हैं. विटामिन सी की पूर्ति के लिए आंवला खाने की सलाह दी जाती है. साथ ही आंखों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. आंवला खाने से इम्यूनिटी भी मजबूत होती है. बाजार में आंवला के पाउडर, जूस, कैंडी अचार और मुरब्बा आदि की काफी मांग रहती है, जिनकी कीमत भी ज्यादा होती है.
ऐसे में अगर आप भी घर पर ही केमिकल फ्री आंवला उगाकर सेहत को फायदा देने वाली चीजे बनाकर खुद इस्तेमाल करने के साथ अपने दोस्तों-रिश्तेदारों में बांट सकते हैं. घर में आंवले का पौधा लगाने के लिए अच्छी किस्म के बीज का चुनाव करना बेहद जरूरी है. हालांकि, बीज से आंवला का पौधा बड़ा करना आसान काम नहीं है. इसमें बहुत ज्यादा समय लग सकता है. इसलिए किसी नर्सरी से बढ़िया आंवला किस्म का पौधे लगाकर गमले में या क्यारी में उगाएं.
आंवला का पौधा लगाने के लिए पहले मिट्टी तैयार करें. आंवला उगाने के लिए काली मिट्टी बेस्ट मानी जाती है, इसलिए हो सके तो काली मिट्टी का इस्तेमाल करें. आंवला के पौधे लिए पॉटिंग मिक्स में- वर्मी कंपोस्ट, गोबर खाद के साथ एनपीके या नीम खली जैसे पोषक तत्वों का उपयोग करें. पौधे के लिए बड़े और गहराई वाले गमला लें. ऐसा करने पर पौधे की जड़ें अच्छे से विकसित होगी और फलदार पेड़ बनेगा. आंवला के पौधे को कम से कम 12 इंच व्यास वाले गमले में 15 इंच गहराई में लगाएं और गोबर खाद व पानी दें.
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पौधे सही से बढ़े और विकसित हो इसके लिए समय-समय पर सही मात्रा में खाद का इस्तेमाल करें. आंवला के पौधों को पर्याप्त धूप वाली जगह पर रखें. ध्यान रखें कि गमले में नमी बनी रहे. तेज बारिश, ज्यादा गर्मी और तेज हवाओं से पौधों की रक्षा के लिए सुरक्षित जगह चुनें. कलम से लगाने वाले पौधे तीन साल बाद फल देना शुरू कर देते हैं, जबकि बीज से उगाए पौधे 6 से 8 साल बाद फल देते हैं.
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