भारत में ऋषि-मुनी और राजा महाराजाओं के जमाने से ही जड़ी-बूटी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता आया है. यही वजह है की लोगों को विश्वसनीयता जड़ी-बूटी पर लगातार बढ़ती जा रही है. आज के समय में भी लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. इतना ही नहीं खांसी, सर्दी, बुखार में अधिकतर लोग जड़ी-बूटी और घरेलू नुस्खे की मदद लेते हैं. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे आक के पत्ते (Aak Leaf) के बारे में जिसका इस्तेमाल औषधि के तरह किया जाता है.
आपने देखा होगा कि अक्सर घर के आस-पास आक या आक के पत्ते (Aak Leaf) मिल जाएंगे. साथ ही, कुछ लोग इसे शुभ मानते हुए घर के बाहर भी लगाते हैं. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि आक (Aak) या आक के पत्ते गठिया के दर्द में कारगर साबित हो सकते हैं. इन पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दर्द को सोख सकते हैं और सूजन से राहत दिला सकते हैं. इसके अलावा, इसका नियमित उपयोग गठिया में हड्डियों को राहत दिलाने में मदद कर सकता है. आइए जानते हैं कैसे.
आक के रस में कई तरह के एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा पर सूजन, लालिमा और जलन को कम करने में मदद करते हैं. इतना ही नहीं, आक में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण कई तरह के त्वचा संक्रमण को बढ़ने से रोकते हैं.
बवासीर से पीड़ित लोगों के लिए भी आक काफी फायदेमंद हो सकता है. इस उपाय को करने के लिए आक के पत्तों को पीसकर बवासीर के घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है और दर्द से राहत मिलती है.
(नोट: इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करें.)
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