हरियाणा में धान की पराली जलाने की समस्या से पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान से बचाने के लिए रूट्स फाउंडेशन ने प्रोजेक्ट पराली शुरू किया गया है. इस प्रोजेक्ट की मदद से महिलाएं घरेलू उत्पाद बना रही हैं. इससे खेती और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिल रही है. जबकि, महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिला है. बीते 3 साल में 3 लाख हेक्टेयर जमीन पर पराली जलाने से होने वाले नुकसान से खेत और पर्यावरण को बचाने में मदद मिली है.
भारत के अग्रणी गैर सरकारी संगठन रूट्स फाउंडेशन (Roots Foundation) ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए प्रोजेक्ट पराली की शुरुआत की है. खास तौर पर हरियाणा में और पिछले 3 सालों में 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर पर्यावरण के लिए हानिकारक पराली जलाने की प्रथा को रोका गया है. रूट्स फाउंडेशन के कोफाउंडर ऋत्विक बहुगुणा ने बिजनेसलाइन को बताया कि उनका उद्देश्य पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें रोजगार देना है.
ऋत्विक बहुगुणा ने कहा कि प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए पराली को रीसाइकिल भी किया जा रहा है. इससे घरेलू उत्पाद बनाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा अगले साल में हमारा लक्ष्य 40,000 टन से ज्यादा पराली को फिर से इस्तेमाल करना है, जिससे होने वाली आय का 80 फीसदी स्थानीय समुदायों में निवेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस पहल को और भी ज्यादा शक्तिशाली बनाने वाली बात यह है कि इसका नेतृत्व पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में है।"
रूट्स फाउंडेशन के कोफाउंडर ने कहा कि शायद हमारा फाउंडेशन ही इस समस्या से समग्र रूप से निपटने वाला एकमात्र संगठन है. उन्होंने कहा कि हम किसानों को जागरूक करते हैं कि उन्हें पराली क्यों नहीं जलानी चाहिए. यह खेतों से पराली को समय पर हटाने, ऐसा करने के लिए उपकरण उपलब्ध कराने और पराली को लास्ट यूजर इंडस्ट्री तक पहुंचाने और बेचने में उनकी मदद करते हैं.
रूट्स ने हरियाणा के स्थानीय महिलाओं को पराली से घरेलू उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग देना भी शुरू कर दिया है. इन उत्पादों को स्थानीय बाजारों के साथ ही राज्य सरकारों को भी बेचा जाएगा. ऋत्विक बहुगुणा ने कहा कि प्रोजेक्ट पराली एक आंदोलन है. वर्ष 2012 में स्थापित रूट्स फाउंडेशन का उद्देश्य वंचित वर्ग की आकांक्षाओं को समझना और उन्हें पूरा करना है. हमारा टारगेट स्थानीय लोगों की आजीविका को बढ़ावा देना और समृद्ध भविष्य की नींव रखना है.
रूट्स फाउंडेशन के कोफाउंडर ने कहा कि फाउंडेशन के लिए कृषि सबसे बड़ा कार्यक्षेत्र है और इसके तहत टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक संसाधन संरक्षण कार्यक्रम (एनआरसीपी) पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. साल 2018 से संगठन ने कृषि लागत में कमी या अधिक आय के माध्यम से 10 लाख से अधिक किसानों की आजीविका में सुधार करने में मदद की है.
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